दुनियाभर में कोरोनावायरस वैक्सीन के ट्रायल जारी हैं तो अगले साल की शुरुआत तक संक्रमण का इलाज मिलने की आशंकाएं लगायी जा रही हैं जिस प्रकार से कोरोनावायरस की वैक्सीन के लिए दुनिया की दर्ज़नो कंपनियां ट्रायल की अंतिम स्टेज में हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने साफ किया है कि कोरोना वैक्सीन के अंतिम स्टेज में हो रहे टेस्ट का यह मतलब बिल्कुल नहीं कि वैक्सीन पूरी तरह तैयार ही है और जनता तक पहुंचने के लिए ठीक है। कई दवा कंपनियों के ट्रायल तो मानवीय परीक्षण की स्टेज तक पहुंच चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगले साल की शुरुआत तक कोरोना की वैक्सीन लॉन्च हो सकती है।
यह वैक्सीन पहली बार आम आबादी को दी जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि स्वस्थ लोगों को यह वैक्सीन आम संक्रमण से बचा सकती है या नहीं- WHO के हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर माइक रायन ने फेज-3 का मतलब समझाते हुए कहा, इन स्टेज में बेहद कम लोगों पर ही ट्रायल होते हैं।।
अभी तकरीबन आधा दर्जन वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल स्टेज में हैं। भारतीय कंपनी भारत बायोटेक और जायडस कैडिला की संभावित वैक्सीन काफी आगे हैं। साथ ही इनमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की संभावित वैक्सीन से लेकर अमेरिकी कंपनी Pfizer, मॉडर्ना समेत करीब 150 अन्य वैक्सीन डेवलपमेंट स्टेज पर हैं, ज्यादातर वैक्सीन के शुरुआती ट्रायल सेफ ही रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका के पास कोरोना से लड़ाई के लिए इस साल के अंत तक ही वैक्सीन आ सकती है। इस बयान के बाद WHO के निदेशक टेडरोस अदनहोम गेब्रेहेसुस टिप्पणी करते हुए कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि वैज्ञानिक सुरक्षित और प्रभावकारी वैक्सीन ढूंढे, लेकिन इसकी हमेशा गारंटी नहीं होती। हम हमेशा यह नहीं कह सकते कि हमारे पास वैक्सीन है, कभी हमारे पास होगी और कभी नहीं।
माइक रायन के मुताबिक, ट्रायल स्टेज वो दरवाजे हैं, जिनसे होकर वैक्सीन को गुजरना है यह असल में गेट नहीं, बल्कि यह पता लगाने का जरिया हैं कि वैक्सीन कितनी बड़ी संख्या में लोगों को बचा सकती है।