बीते तीन महीने में यहां मास्क बनाने वाली 809 कंपनियों के सैंपल का परीक्षण किया गया। इनमें 483 कंपनियों के नमूने फेल हो गए। सिर्फ 326 कंपनियों के नमूने ही डीआरडीई के मानकों पर खरे उतरे हैं।
ग्वालियर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बाजार में बिक रहे मास्क कोरोना का प्रसार रोकने में सक्षम नहीं हैं। ग्वालियर स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीई) की विश्व स्तरीय प्रयोगशाला में किए गए परीक्षण से ये खुलासा हुआ है। इन कंपनियों को मास्क बनाने की स्वीकृति दे दी गई। इसी प्रयोगशाला ने एनबीसी सूट, बायोडायजेस्टर और डेपा सहित महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।
गाैरतलब है कि हाल के कुछ वर्षाें में डीआरडीई ने स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों से निपटने में राज्य सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की मदद की है। बता दें कि फेस मास्क की अच्छी गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए मास्क बनाने वाली कंपनियों के नमूनों का परीक्षण डीआरडीई में किया जा रहा है।
अब तक यहां 809 कंपनियों के नमूनों की जांच हुई है। इनमें से लगभग 60 फीसदी कंपनियों के नमूने निर्धारित मानकों पर सही नहीं पाए गए हैं।