मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल समेत 15 जिलों में सर्वाधिक नशा होता है। मध्यप्रदेश सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण मंत्री प्रेम सिंह पटेल ने बताया कि इनमें छह महीने तक लोगों को जागरुक करने के साथ नशा छुड़ाने के लिए कार्य किया जाएगा।

प्रदेश के भोपाल, छिंदवाड़ा, दतिया, ग्वालियर, होशंगाबाद, इंदौर, जबलपुर, मंदसौर, नरसिंहपुर, नीमच, रतलाम, रीवा, सागर, सतना और उज्जैन जिले शामिल हैं। इन जिलों का चयन नशीले पदार्थ और शराब से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों के विरुद्ध किए गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण के आधार पर किया गया है।
देश भर में करीब 22 करोड़ लोग नशा करते हैं। यह खुलासा केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा कराए गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण में हुआ है। इसमें मध्यप्रदेश यूपी, राजस्थान और पंजाब के बाद चौथे नंबर पर है। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा देश भर में यह सर्वे कराया गया। रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 16 करोड़ लोग शराब, 3.1 करोड़ भांग और 2.26 करोड़ अन्य तरह के नशे करते हैं।
देशभर के सर्वाधिक 272 जिलों का चयन किया गया है। राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 33-33, पंजाब के 18, मध्यप्रदेश के 15, झारखंड के 12, दिल्ली के 11 क्षेत्र, उड़ीसा, हरियाणा, जम्मू-काश्मीर के 10-10, मणिपुर और आसाम के 9-9, अरुणाचल प्रदेश, बिहार और गुजरात के 8-8, कर्नाटक और केरल के 6-6, आंध्रप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, महाराष्ट्र और मिजोरम के 4-4, नागालैंड और छत्तीसगढ़ के 3-3 जिले, दमन और दीव और केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ हैं।
नशे के आदी हो चुके लोगों को नशामुक्त करने के साथ अभियान का सर्वोच्च उद्देश्य भावी पीढ़ी को नशे की गिरफ्त में आने से बचाना है। अभियान के तहत संबंधित जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में समितियां बनाई की गई हैं। इसमें पुलिस, विधि, शिक्षा, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय आदि विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारियों को शामिल किया गया है। चिन्हित नशा पीड़ित लोगों को पुनर्वास केंद्रों और अस्पतालों में काउंसिलिंग एवं उपचार के लिए ले जाया जाएगा। जिलों में दी जा रही काउंसिलिंग और उपचार सुविधाओं की सतत निगरानी, शैक्षणिक संस्थाओं के 100 मीटर के दायरे में सिगरेट की बिक्री पर रोक, ड्रग्स की उपलब्धता और विक्रय की जानकारी मिलते ही इसके विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करवाना है।
जिला-स्तर पर गठित समितियां नशामुक्त अभियान के तहत विद्यार्थी, शिक्षक और अभिभावकों के मध्य जन-जागरूकता कार्यक्रम और कॉलेजों में स्टूडेंट क्लब का गठन करेंगे। संबंधित लोगों को प्रशिक्षण दिलाना, अभियान में जन-सहयोग बढ़ाना, सोशल मीडिया के माध्यम से नशे के विरुद्ध जागरूकता बढ़ाना आदि शामिल हैं।