पिछले सप्ताह परिवहन मंत्री गोविंद राजपूत व ट्रांसपोर्ट कमिश्नर मुकेश जैन से उनकी सागर में इन मांगों के संबंध में चर्चा भी हुई थी। उसी तारतम्य में तीन महीनों (अप्रैल, मई व जून) का करीब 210 करोड़ रुपए टैक्स माफ करने की तैयारी है। साथ ही किराए में भी सरकार 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर सकती है। इसके बाद सरकार बचे हुए तीन महीने (जुलाई, अगस्त व सितंबर) का बकाया लगभग 210 करोड़ टैक्स माफ कर सकती है।
ऑपरेटरों ने छह माह (अप्रैल से लेकर सितंबर) तक का टैक्स माफ करने, डीजल के बढ़े हुए दामों को देखते हुए किराया 50 फीसदी बढ़ाने व ड्राइवर-कंडक्टरों को कोविड वॉरियर्स मानते हुए आर्थिक सहायता करने की मांगें राज्य सरकार के समक्ष रखी थीं।
35720 बसें चलती संचालित हाेती हैं प्रदेश में 730 बसें भोपाल से अन्य रूटों पर चलती हैं, 420 करोड़ का टैक्स बकाया है 6 माह का, अभी तीन माह का 210 करोड़ रुपए हो सकता है माफ।
राज्य सरकार पहले चरण में करीब 35,720 हजार बसों का तीन महीनाें का 210 करोड़ टैक्स माफ करने की तैयारी में है। इतना ही नहीं बसों के किराए में भी ऑपरेटरों की मांग को मानते हुए किराए में 50 की जगह 20 फीसदी बढ़ोतरी की जा सकती है। इस बीच हाईकोर्ट जबलपुर में बसों के संचालन के लिए राज्य सरकार के खिलाफ समाज सेवियों द्वारा लगाई गई जनहित याचिका पर फैसला आगामी 7 सितंबर तक टल गया है। हाईकोर्ट ने उस मामले में बस ऑपरेटरों का भी पक्ष सुनने यह तारीख बढ़ाई है।
सरकार ने परिवहन निगम को 2010 में बंद करने की कार्रवाई कर दी। तब तक प्रदेश में 3600 बसों का संचालन किया जा रहा था। 1962 में मप्र सड़क परिवहन निगम का गठन कर प्रदेश भर में सरकारी बसों का संचालन शुरू कर दिया गया था। उसके बाद कई सालों तक निगम के मार्फत हजारों बसों का संचालन मप्र में हुआ। लेकिन सरकार को इस सेवा से ज्यादा फायदा नहीं हो रहा था, जबकि उसका उद्देश्य ही नो प्रॉफिट व नो लॉस था। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डॉ. कृष्णा मोदी व सुशीला शर्मा की ओर से बसों के संचालन को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई है। याचिका में सरकार से सार्वजनिक परिवहन की सेवा उपलब्ध करवाने की मांग प्रमुख रूप से की गई है।
समाज सेवियों द्वारा यह तक कहा गया है कि जिस 500 करोड़ की राशि को सरकार प्राइवेट ऑपरेटरों का टैक्स माफ करने जा रही है, उसका उपयोग लोगों की मांग को पूरा किया जा सकता है।