राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार अपने क्षेत्र के श्रेष्ठ पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति मनाई जा सकती है। मकर संक्रांति पर सूर्यदेव अपने पुत्र शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। इस दिन से विवाह आदि सभी तरह के मांगलिक कर्म शुरू हो जाते हैं। मकर संक्रांति के बाद ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है। इस वजह से ठंड असर कम होना शुरू हो जाएगा और धीरे-धीरे गर्मी बढ़ने लगेगी। मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का सेवन खासतौर पर किया जाता है। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर की गई सूर्य पूजा अक्षय पुण्य के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी मिलते हैं। मकर संक्रांति पर किसी पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है। नदी में स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। नदी किनारे ही जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज और तिल-गुड़ का दान करें। किसी गौशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। अभी ठंड का समय है तो जरूरतमंद लोगों को ऊनी वस्त्र या कंबल का दान जरूर करें। 15 जनवरी को शनिवार होने से इस दिन शनिदेव के लिए विशेष पूजा-पाठ जरूर करें। शनिदेव को तेल चढ़ाएं। नीले और काले तिल अर्पित करें। शनिदेव के सामने दीपक जलाकर ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें।