राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि I दुनिया का सबसे शक्तिशाली सौर तूफान 20 सालों बाद शुक्रवार 10 मई को धरती से टकराया। तूफान के कारण तस्मानिया से लेकर ब्रिटेन तक आसमान में तेज बिजली कड़की। वहीं कई सैटेलाइट्स और पावर ग्रिडस को भी नुकसान पहुंचा। सोलर तूफान के कारण दुनिया की कई जगहों पर ध्रुवीय ज्योति (ऑरोरा) की घटनाएं देखने को भी मिलीं। इस दौरान सौर तुफान की वजह से आसमान अलग-अलग रंगों को दिखाई दिया।
अमेरिकी वैज्ञानिक संस्था ‘नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन’ (NOAA) के मुताबिक इस सौर तूफान का असर सप्ताह के अंत तक रहेगा। इसे मुख्य तौर पर दुनिया के उत्तरी और दक्षिणी हिस्सों में देखा जा सकेगा। लेकिन अगर यह तेज होता है तो इसे और भी कई जगहों पर देखा जा सकता है। दुनिया भर में सैटेलाइट ऑपरेटर्स, एयरलाइंस और पावर ग्रिड को ऑपरेटर अलर्ट पर हैं।
सौर तूफान आने का कारण सूर्य से निकलने वाला कोरोनल मास इजेक्शन है। दरअसल कोरोनल मास इजेक्शन के दौरान सूर्य से आने वाले पार्टिकल्स धरती की मैग्नेटिक फील्ड में एंट्री करते हैं। पार्टिकल्स के धरती पर एंट्री करने के बाद एक रिएक्शन होता है , जिसके कारण पार्टिकल्स चमकदार रंग- बिरंगी रोशनी के रूप में दिखते हैं। आसान शब्दों में कहे तो कोरोनल मास इजेक्शन यानि सूर्य की सतह से प्लाज्मा और मैग्नेटिक फील्ड ( चुंबकीय) का निकलना।
सौर तूफान धरती पर मैग्नेटिक फील्ड को प्रभावित करते हैं। ऐसे तूफानों के कारण पावर ग्रिड को भी नुकसान पहुंचता है। साथ ही विमानों में भी टर्बुलेंस की दिकक्त होती है। इसके चलते नासा ने भी अपने एस्ट्रोनॉट्स को तूफान के दौरान स्पेस स्टेशन के अंदर रहने की सलाह देती है।