राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। कैलेंडर यानी पंचांग के एक साल में कुल 12 अमावस्या होती हैं। लेकिन इस साल जनवरी और दिसंबर में फिर पौष महीना होने के कारण 13 अमावस्या होंगी। जब तिथियों की घट-बढ़ होती है। तब ये पर्व कभी-कभी दो दिन तक भी रहता है। इसलिए जब दोपहर में अमावस्या हो उस दिन पितरों के लिए श्राद्ध-तर्पण किया जाता है। वहीं जब सूर्योदय के समय हो तो स्नान और दान किया जाता है। इस विशेष संयोग में किए गए तीर्थ स्नान और दान का अक्षय फल मिलता है। ये योग तब बनते हैं जब सोमवार और शनिवार को अमावस्या होती है। पुरी के ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि सोम, मंगल, शुक्र और गुरुवार को अमावस्या हो तो इसका शुभ फल मिलता है। वहीं, बुध, शनि और रविवार को अमावस्या अशुभ फल देती है। पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र का कहना है कि सौम्य वार में पड़ने वाली अमावस्या शुभ होती है। वहीं क्रूर वार के साथ अशुभ फल देने वाली होती है। ज्योतिष ग्रंथों में बताया गया है कि सोम, मंगल, शुक्र और गुरुवार को अमावस्या हो तो इसका शुभ फल मिलता है। वहीं, बुध, शनि और रविवार को अमावस्या अशुभ फल देती है।
2 जनवरी, रविवार, पौष अमावस्या
1 फरवरी, मंगलवार, माघ अमावस्या
2 मार्च, बुधवार, फाल्गुन अमावस्या
1 अप्रैल, शुक्रवार, चैत्र अमावस्या
30 अप्रैल, शनिवार, वैशाख अमावस्या
30 मई, सोमवार, ज्येष्ठ अमावस्या
29 जून, बुधवार, आषाढ़ अमावस्या
28 जुलाई, गुरुवार, श्रावण अमावस्या
27 अगस्त, शनिवार, भाद्रपद अमावस्या
25 सितंबर, रविवार, अश्विन अमावस्या, पितृमोक्ष अमावस्या
25 अक्टूबर, मंगलवार, कार्तिक अमावस्या
23 नवंबर, बुधवार, मार्गशीर्ष अमावस्या
23 दिसंबर, शुक्रवार, पौष अमावस्या