युवक के पिता ने कहा, जिस बैग में शव रखा हुआ था, जब उसे खोला गया तो वे दंग रह गए क्योंकि उसमें 65 साल के एक व्यक्ति का शव रखा और उसपर युवक का टैग लगा था.
लापरवाही की यह बड़ी घटना उजागर होते ही प्रशासन हरकत में आया और अस्पताल के डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया गया. दाखिले के तीन-चार दिन बाद जब लोगों ने युवक की तबीयत के बारे में जानकारी मांगी तो डॉक्टरों ने उसकी मौत की बात कही और मॉर्चरी में शव पहचानने को कहा. मध्यप्रदेश के रीवा में स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही सामने आई है.
यहां अस्पताल में 22 साल के एक युवक की मौत हो गई लेकिन परिजनों को 65 साल के एक बुजुर्ग का शव सौंप दिया गया. यह अस्पताल जिस मेडिकल कॉलेज से जुड़ा है, बर्खास्त डॉक्टर उस कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है. पीड़ित परिवार ने अस्पताल के बाहर इस घोर लापरवाही पर हंगामा किया और शव लेने से इनकार कर दिया. परिवार वालों ने इस बात पर विरोध जताया कि उन्हें किसी और का शव सुपुर्द कर दिया गया है.
मृतक युवक के पिता रामविलास कुशवाहा ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट चीफ मेडिकल एंड हेल्थ ऑफिसर (सीएमएचओ) ने बताया कि उसके बेटे का अंतिम संस्कार कर दिया गया है. यह लापरवाही उजागर होने के बाद अस्पताल के डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया गया.
22 साल के युवक को 3 अगस्त को संजय गांधी हॉस्पिटल के आईसीयू में दाखिल कराया गया था. युवक के पिता ने कहा कि बदन दर्द की शिकायत होने के बाद मौगंज में उसका शुरुआती इलाज कराया गया था. बाद में डॉक्टरों ने युवक को कोविड सेंटर में रेफर कर दिया. युवक के पिता ने कहा कि उनका बेटा जब से अस्पताल में भर्ती हुआ, तब से उसके बारे में डॉक्टरों ने कोई सूचना नहीं दी.
लोगों ने लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई. जब लोगों ने युवक की तबीयत के बारे में जानकारी मांगी तो डॉक्टरों ने उसकी मौत की बात कही और मॉर्चरी में शव पहचानने को कहा. युवक के पिता ने कहा, जिस बैग में शव रखा हुआ था, जब उसे खोला गया तो वे दंग रह गए क्योंकि उसमें 65 साल के एक व्यक्ति का शव रखा और उसपर युवक का टैग लगा था.
युवक के पिता कुशवाहा का कहना है कि अस्पताल प्रशासन ने अन्य मृतकों के साथ उसके बेटे को भी दफना दिया है और अब इसकी सच्चाई नहीं बता रहे हैं. युवक के पिता का आरोप है कि अस्पताल ने अभी तक उनके बेटे की कोविड रिपोर्ट नहीं दी है. इस घटना को गंभीरता से लेते हुए रीवा डिविजन कमिश्नर ने अस्पताल के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राकेश पटेल को सस्पेंड कर दिया.
इस पर नाराज होकर मृतक युवक के परिजनों ने कमिश्नर और पुलिस सुपरिटेंडेंट के ऑफिस का घेराव किया और हंगामा किया.