जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय ने वर्षों के अनुसंधान के बाद तैयार की चना, अलसी और विसिया की नई प्रजातियां।
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जनेकृविवि) के कृषि विज्ञानियों ने अनुसंधान के बाद ये नई प्रजातियां विकसित की हैं। मध्यप्रदेश के जबलपुर में विकसित चना, अलसी और विसिया (एक तरह का चारा) की नई प्रजातियां देश के कई हिस्सों में अपनी पहचान बनाएंगी।
इन प्रजातियों को जबलपुर स्थित फार्म में ही तैयार किया गया है। चने की नई प्रजाति मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ भेजी जाएगी। वहीं अलसी की प्रजाति जम्मू-कश्मीर से लेकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा भेजी जाएगी। केंद्रीय स्तर के विशेषज्ञों ने मौसम, तापमान, उपज, लागत और गुणवत्ता के पैमानों पर इन्हें परखा और इन्हें मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि देश के दूसरे राज्यों में बोने के लिए मोहर लगा दी है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उपमहानिदेशक डॉ.टीआर शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह अनुमति मिली। इनकी स्वीकृति की अधिसूचना भी जारी हो गई है। राष्ट्रीय स्तर पर फसलों की नई किस्म को परखने वाली कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय नई दिल्ली की अनुमोदन केंद्रीय उपसमिति के सदस्यों ने इन प्रजातियों को हर स्तर पर परखा और इसे देश भर में बोने के लिए सहमति दे दी।
डॉ. बब्बर के मुताबिक इस प्रजाति की खासियत यह है कि इसका पौधा कम क्षेत्र में फैलता है।मशीन की कटाई में इसके बीज या दाने खराब नहीं होते। उत्पादन भी 20 से 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलता है। विवि की महिला कृषि विज्ञानी डॉ.अनीता बब्बर ने चने की नई प्रजाति जेजी 24 विकसित की है। इस प्रजाति को स्वीकृति मिलने के बाद अब यह देश के दस से ज्यादा राज्यों के लिए उपयोगी साबित होगी। खासतौर पर उन राज्यों के लिए जहां चने की ज्यादा पैदावार होती है।