कॉलेज की पढ़ाई के दौरान तीरंदाजी में राष्ट्रीय स्तर तक राहुल हाथ आजमा चुके हैं, लेकिन जब आर्थिक तंगी के चलते खेल जारी नहीं रख पाए तो गांव के बच्चों को तीरंदाजी सिखानी शुरू कर दी। राहुल अब तक 43 बच्चों को राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाजी प्रतियोगिताओं में पहुंचा चुके हैं। इनमें से तीन पदक भी जीत चुके हैं।
आर्थिक तंगी के चलते वे खुद अपने खेल को जारी नहीं रख पाए, लेकिन तीरंदाजी से लगाव के चलते उन्होंने 2013 से ही स्कूल-कालेज के बच्चों को तीरंदाजी से जोड़ने की मुहिम शुरू कर दी। शहर से लगे फरहद गांव में छोटी सी झोपड़ी में चाय-समोसा बेचने वाले राहुल साहू को देखकर कोई उन्हें सामान्य दुकानदार ही समझेगा। लेकिन वो जो कर रहे हैं, वह जानकार लोगों के दिल में उनकी इज्जत बढ़ जाती है। राहुल गुरु द्रोणाचार्य से कम नहीं हैं। राहुल न केवल स्कूलों में जाकर प्रशिक्षण देते हैं, बल्कि अपनी दुकान के पास भी बच्चों को तीरंदाजी के गुर सिखाते हैं।
कालेज में पढ़ाई के दौरान वर्ष 2012 में राहुल ने पटियाला (पंजाब) में हुई अखिल भारतीय विश्वविद्यालय तीरंदाजी प्रतियोगिता में भाग लिया। उन्हें कोई पदक तो नहीं मिला, लेकिन तीरंदाजी जुनून बन गई।
खास बात यह है कि इनमें से 43 ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में न केवल जगह बनाई, बल्कि एक-एक स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक भी जीता। दिनभर काम, सुबह-शाम प्रशिक्षण घर का बड़ा बेटा होने के कारण राहुल को होटल में बुजुर्ग पिता के साथ हाथ बंटाना होता है। वे दिनभर होटल में काम करते हैं और सुबह-शाम बच्चों को तीरंदाजी का हुनर सिखाते हैं। वे अब तक 100 बच्चों को तीरंदाजी का प्रशिक्षण दे चुके हैं।
राहुल बताते हैं कि उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है। इस कारण वह जरूरी संसाधनों के साथ इस खेल की वैसी तैयारी नहीं कर पाए जैसी कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिए की जानी चाहिए।
2015 में पार्वती साहू ने गोवा में हुई 36वीं नेशनल सब जूनियर तीरंदाजी प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता। वर्ष 2019 में समृद्धि तिवारी ने सीबीएसई नेशनल में रजत पदक जीता है। अंतराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम परिसर के एक कोने में अभी करीब 40 बच्चे तीरंदाजी का हुनर सीख रहे हैं। युवा तीरंदाज के जुनून से प्रभावित होकर अब शहर की समाजसेवी संस्थाएं मदद को आगे आ रहीं हैं।
इनके खाते में आई उपलब्धियां रश्मि साहू ने वर्ष 2016 में कलिंगा स्टेडियम, भुवनेश्वर (ओड़िशा ) में हुई 37वीं सब जूनियर नेशनल आर्चरी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।