सैंपलिंग कम होने की वजह से ही कोरोना मरीजों की संख्या में कमी आने लगी है। इधर, जिला प्रशासन के अफसरों का दावा है कि मामले कम होने की वजह से सैंपलिंग कम की।
भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): शहर में कोरोना मरीजों की संख्या में आई गिरावट की वजह संक्रमण कम होना नहीं है, बल्कि जांच में कमी होना है। पिछले दो हफ्ते में सैंपलिंग 3000 हजार से घटाकर 2000 के करीब कर दी है। पिछले दो हफ्ते में कोरोना मरीज 200 से कम ही मिल रहे हैं। वहीं राहत की बात यह है कि रोज ठीक होने वाले मरीज 210 के आसपास ही होते हैं।
मरीज की हालत ऐसी है कि उन्हें बिना सहूलियतों के शिफ्ट नहीं किया जा सकता है। ऐसे में अब परिजन आर्थिक संकट के बाद भी अपनी जेब से पैसा भरकर जेके अस्पताल में ही इलाज कराने को मजबूर हैं। प्रशासन की ओर से जेके अस्पताल में बनाए गए डेडिकेटेड कोविड अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों को शिफ्टिंग के लिए एंबुलेंस नहीं मिल रही हैं। सबसे ज्यादा परेशानी गंभीर मरीजों को हो रही है। आलम यह है कि परिजन को कई अस्पतालों में संपर्क करने के बाद भी कार्डियक एंबुलेंस नहीं मिली।
कोटरा सुल्तानाबाद की 74 वर्षीय महिला जेके अस्पताल में भर्ती हैं। उन्हें एनआईवी सपोर्ट पर रखा है। परिजन उनकी शिफ्टिंग दूसरे अस्पताल में कराना चाहते हैं, लेकिन एनआईवी सपोर्ट वाली एंबुलेंस नहीं मिल रही है।
कोलार निवासी एक छात्र 5 दिन पहले कोरोना पॉजिटिव होने पर जेके अस्पताल में भर्ती हुआ। परिवार जगदलपुर में हैं। पैसे का भी अभाव है, ऐसे में समझ में नहीं आ रहा है कि शिफ्टिंग कैसे होगी।
हमीदिया, एम्स और जेपी अस्पताल के अलावा चिरायु में कोविड मरीजों को सरकारी इलाज मिलेगा। इसके अलावा अन्य अस्पतालों में इलाज कराने पर मरीज को पेमेंट करना ही पड़ेगा।