राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | चीन तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर अब तक का सबसे बड़ा ब्रिज बनाने जा रहा है।
अगले साल से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया जाएगा। चीन के मीडिया ने रविवार को बताया कि ब्रिज बनने से दक्षिण एशियाई देशों से सहयोग के रास्ते खुलेंगे। इस प्रोजेक्ट को लेकर भारत ने चीन से ट्रांस बॉर्डर नदी समझौते का पालन करने का निर्देश दिया है। चीन ने 14वीं पंचवर्षीय योजना में ब्रह्मपुत्र पर हाइड्रोपॉवर प्रोजेक्ट बनाने की बात कही है।
इस बड़े ब्रिज की तैयारी ने भारत और बांग्लादेश की चिंता को बढ़ा दिया है। दोनों ही देश ब्रह्मपुत्र के
पानी का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि चीन ने इन चिंताओं को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि वह दोनों देशों के हितों का ध्यान रखेगा।
भारत को भी रहेगा पानी के इस्तेमाल का अधिकार
ट्रांस बॉर्डर नदी समझौते के मुताबिक, भारत और बांग्लादेश को ब्रह्मपुत्र का पानी इस्तेमाल करने का अधिकार मिला हुआ है। भारत ने चीन के अधिकारियों से समझौते का पालन करने का निर्देश दिया है। भारत ने यह भी कहा है कि चीन ध्यान रखे कि नदी के ऊपरी हिस्से में किसी भी गतिविधि से निचले हिस्सों में बसे देशों को नुकसान न हो।
तिब्बत में पहले ही बड़ा बांध मौजूद
चीन पहले ही तिब्बत में 11 हजार 130 करोड़ रुपए की लागत से जाम हाइड्रोपॉवर स्टेशन बना चुका है। 2015 में बना यह प्रोजेक्ट चीन का सबसे बड़ा ब्रिज है। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक, तिब्बत के मेडॉग इलाके में मौजूद यारलंग जोंगबो के ग्रांड कैनियन पर नया बांध बनेगा। चीनी मीडिया ने इसे सुपर हाइड्रोपॉवर स्टेशन कहा है।
नया बांध इतिहास में सबसे बड़ा होगा: चीन चाइना सोसाइटी फॉर हाइड्रोपॉवर की 40वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पॉवर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन यान झियोंग ने कहा- यह ब्रिज इतिहास में सबसे बड़ा होगा। यह चीन की हाइड्रोपॉवर इंडस्ट्री के लिए भी ऐतिहासिक मौका होगा। इससे कयास लगाए जा रहे हैं कि ब्रह्मपुत्र पर बनने वाला नया ब्रिज मौजूदा प्रोजेक्ट से भी बड़ा होगा।