उज्जैन राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। उज्जैन-देवास-इंदौर रेल मार्ग दोहरीकरण का काम पहले चरण में विक्रमनगर-कड़छा के बीच पूरा कर दिया गया है। 11 किलोमीटर लंबे मार्ग का 21 दिसंबर 2020 को कमिश्नर रेलवे सेफ्टी निरीक्ष करने पहुचेगे | इसके बाद इस मार्ग पर ट्रेनों के संचालन को हरा झंडा मिल जाएगी। कड़छा से इंदौर के बीच अब भी करीब 70 किलोमीटर काम बाकी है। इसे रेलवे ने वर्ष 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य बनाया है। फिलहाल कोरोना संक्रमण के कारण रेलवे प्रशासन ने इस काम पर रोक लगा रखी है।
बता दें कि उज्जैन-देवास-इंदौर के बीच 81 किलोमीटर रेल मार्ग को करीब 450 करोड़ रुपये की लागत से दोहरीकरण किया जा रहा है। पहले चरण में उज्जैन-विक्रम नगर- कड़छा के बीच करीब 14 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है। इस मार्ग पर ट्रेनों के संचालन को शुरू करने के लिए जरूरी सीआरएस निरीक्षण करवाने की तैयारियां की जा रही हैं। 21 दिसंबर को सीआरएस उज्जैन आकर निरीक्षण करेंगे। सीआरएस के निरीक्षण के बाद ही ट्रेन संचालन को हरी झंडी मिलेगी। इसके लिए रेलवे अधिकारी प्री सीआरएस कामों को पूरा करने में लगे है।
कड़छा से इंदौर तक काम पूरा होने का इंतजार : रेलवे प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के कारण रेलवे प्रशासन ने सभी कामों को बंद करने के आदेश जारी किए थे। कड़छा से इंदौर के बीच करीब 70 किलोमीटर काम को फिलहाल रोक दिया है। अधिकारियों का कहना है कि इस काम को अगले साल से शुरू किया जाएगा। जिसे वर्ष 2022 के अंत तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
यात्री ट्रेनों व मालगाड़ियों को नहीं रोकना पड़ेगा : उज्जैन से इंदौर के बीच केवल एक ही ट्रैक होने के कारण इस मार्ग पर ट्रेनों के संचालन में दिक्कत होती थी। कई बार ट्रैक पर मालगाड़ी अथवा यात्री ट्रेन होने के कारण दूसरी ट्रेनों को देवास या फिर इंदौर में ही रोक दिया जाता था। दोहरीकरण होने के बाद अब इस ट्रैक पर ट्रेनों या फिर मालगाड़ी को रोकना नहीं पड़ेगा।