राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | कोरोना महामारी के बीच अभी सबसे ज्यादा जिन चीजों की डिमांड है, उनमें ऑक्सीजन रिलेटेड प्रोडक्ट्स और ब्लड प्लाज्मा सबसे ऊपर हैं। देशभर में लोग इसकी किल्लत से जूझ रहे हैं। कोई सोशल मीडिया पर मदद की गुहार लगा रहा है तो कोई दुकान के सामने लंबी लाइन में खड़ा है। कालाबाजारी इतनी बढ़ गई है कि कई लोगों को मुंहमांगी कीमत देने के बाद भी ये चीजें नहीं मिल रही हैं। ऐसे में अब उनकी मदद के लिए युवा आगे आए हैं। वे अपनी पढ़ाई और जॉब के साथ-साथ लोगों की जिंदगी बचाने की मुहिम में जुटे हैं।एक हफ्ते में 600 लोगों को बांट चुके हैं ऑक्सीजन फ्लो मीटररुद्रप्रयाग के रहने वाले बलजीत सिंह चावला सालों से ऑक्सीजन रिलेटेड पार्ट्स की रिपेयरिंग और वेल्डिंग का काम करते हैं। कोरोना महामारी के बीच जब उन्हें पता चला कि देशभर में ऑक्सीजन फ्लो मीटर की कमी हो गई है। लोग कालाबाजारी कर रहे हैं, जिसे जरूरत है, उसे फ्लो मीटर नहीं मिल पा रहा है। तो ऐसे में बलजीत ने तय किया कि वे खुद ही ऑक्सीजन फ्लो मीटर तैयार करेंगे और जरूरतमंदों को उपलब्ध कराएंगे। महज एक हफ्ते में ही 600 लोगों को वे ऑक्सीजन फ्लो मीटर दे चुके हैं।दिल्ली से पार्ट्स मंगाते हैं, खुद की दुकान पर तैयार करते हैं
38 साल के बलजीत कहते हैं कि मैंने अपने पिता से रिपेयरिंग और वेल्डिंग का काम सीखा है। अभी मैं ऑक्सीजन फ्लो मीटर तैयार कर रहा हूं। मेरे साथ एक वर्कर भी है। हम लोग अपनी दुकान पर ही इसे तैयार करते हैं। इसमें लगने वाले पार्ट्स हम दिल्ली या दूसरे शहरों से मंगा रहे हैं। हर दिन हम 17-18 घंटे काम कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्ट तैयार किया जा सके।वे कहते हैं कि अभी डिमांड इतनी बढ़ गई है कि फ्लो मीटर की बात छोड़िए, इसमें लगने वाले पार्ट्स भी मुश्किल से मिल रहे हैं। वो भी महंगे दामों पर। जो पार्ट्स पहले मुझे 50 रुपए में मिल रहे थे, अब हमें उसके लिए 200 से 250 रुपए कीमत चुकानी पड़ रही है।हर दिन 70 से 80 लोगों की कर रहे हैं मददबलजीत बताते हैं कि वे हर दिन 70 से 80 लोगों को ऑक्सीजन फ्लो मीटर उपलब्ध करा रहे हैं। इसके लिए सिर्फ रुद्रप्रयाग ही नहीं बल्कि दिल्ली, गाजियाबाद, बरेली जैसे शहरों से भी लोग आ रहे हैं। वे कहते हैं कि हमारी पूरी कोशिश है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद की जाए। जो लोग सक्षम होते हैं हम उनसे पैसे लेते हैं, लेकिन जो गरीब होते हैं, उन्हें हम कम कीमत या मुफ्त में भी फ्लो मीटर उपलब्ध करा रहे हैं।आधार कार्ड और डॉक्टर की स्लिप देखकर ही देते हैं फ्लो मीटर
बलजीत कहते हैं कि अभी इसकी कालाबाजारी बढ़ गई है। लोग जरूरत से ज्यादा कीमत वसूल रहे हैं। कई लोग कम कीमत में खरीदकर अधिक मुनाफे पर बेच रहे हैं। ऐसे में जिनके पास पैसे हैं, उन्हें तो बहुत दिक्कत नहीं हो रही, लेकिन जो गरीब या मध्यम वर्ग के लोग हैं, उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए हम सिर्फ उन्हीं को फ्लो मीटर दे रहे हैं, जिनके पास आधार कार्ड और डॉक्टर की स्लिप है।6 हजार से ज्यादा लोगों को दिला चुके हैं प्लाज्मामुंबई के रहने वाले चंचल कुमार दगड़े खुद का बिजनेस चलाते हैं। वे पिछले 15 साल से सॉफ्टवेयर और टेक्नोलॉजी की फील्ड में काम कर रहे हैं। पिछले साल जब कोविड आया और लोगों को ब्लड प्लाज्मा की जरूरत पड़ने लगी, तभी से चंचल एक ऑर्गेनाइजेशन के साथ मिलकर प्लाज्मा डोनेट कराने और लोगों को उपलब्ध कराने की मुहिम में जुटे हैं। पिछले तीन से चार महीने में उनकी टीम 6 हजार से ज्यादा लोगों को प्लाज्मा उपलब्ध करा चुकी है।वे कहते हैं कि अभी हमारी टीम में 100 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर वर्किंग प्रोफेशनल हैं। जबकि कई अभी पढ़ाई कर रहे हैं। इसके साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से कई वॉलंटियर्स भी हमसे जुड़े हैं। चंचल के मुताबिक हर दिन 150 से ज्यादा लोगों की रिक्वेस्ट उनके पास प्लाज्मा को लेकर आ रही है। इनमें से ज्यादातर लोगों की मदद करने की वे कोशिश करते हैं। डोनर्स की कमी के चलते सबको प्लाज्मा उपलब्ध कराना सम्भव नहीं हो पाता है।