राष्ट्र आजकल । दैत्यराज राजा हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए भगवान विष्णु ने चौथी बार धरती पर अवतार लिया था। उन्होंने नरसिंह का अवतार लेकर अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी। भगवान विष्णु ने वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरसिंह अवतार लिया था। इस वजह से इन दिन को नरसिंह जयंति के रूप में मनाया जाता है। इस साल नरसिंह जयंती 25 मई, मंगलवार के दिन है।
नरसिंह जयंति की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप से अपने भक्त प्रहलाद को बचाने के लिए आधा नर और आधा सिंह का अवतार लिया था, इसीलिए उनके इस अवतार को नरसिंह अवतार कहते हैं। नरसिंह अवतार को दक्षिण भारत में वैष्णव संप्रदाय के लोग संकट के समय रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजते हैं। उनकी जयंती बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान नरसिंह शक्ति और पराक्रम के देवता माने जाते हैं।
क्या है इस व्रत का महत्व
नरसिंह जयंति के दिन भगवान नरसिंह का व्रत रखने और पूजा-अर्चना करने से हर तरह की परेशानियां दूर होती हैं। इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को सभी जन्मों के पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में खूब सुख-समृद्धि मिलती है।
ये है पूजा का शुभ मुहूर्त
25 मई के दिन, मंगलवार को नरसिंह जयंती है। इस दिन सायंकाल पूजा का शुभ समय दोपहर 4 बजकर 26 मिनट से शाम 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
जानिए कैसे करें भगवान नरसिंह की पूजा
नरसिंह जयंती के दिन तिल, गौमूत्र, मिट्टी और आंवले को शरीर पर मलें और शुद्ध जल से स्नान करें। अब भगवान नरसिंह की फोटो के सामने दीपक जलाकर लाल फूल चढ़ाएं और प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद भगवान को अपनी मनोकामना बता कर भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप करें। मध्य रात्रि में इन मंत्रों का जाप करना सबसे शुभ माना जाता है। नरसिंह जयंति के दिन केवल फलाहार करें और अगले दिन किसी गरीब व्यक्ति को अन्न-वस्त्र का दान करके ही व्रत खोलें।