जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया

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राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । जम्मू-कश्मीर के शोपियां में सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया है। मौके से हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए हैं। शोपियां के तुलरान इलाके में सोमवार को ये एनकाउंटर शुरू हुआ था। इसमें मारे गए तीनों आतंकी LeT (TRF) के थे। इनमें से एक की पहचान मुख्तार शाह के तौर पर हुई है जो गांदरबल का रहने वाला था। मुख्तार वही आतंकी था, जिसने कुछ दिन पहले श्रीनगर में रेहड़ी लगाने वाले बिहार के वीरेंद्र पासवान की हत्या की थी। उस हमले के बाद मुख्तार भागकर शोपियां आ गया था।

सुरक्षाबलों ने कश्मीर में सोमवार से अब तक अलग-अलग घटनाओं में 6 आतंकी मार गिराए हैं। सोमवार को बांदीपोरा में 2 और अनंतनाग में एक दहशतगर्द को ढेर कर दिया था।

दूसरी तरफ पुंछ सेक्टर से लगे राजौरी के डेहरा की गली इलाके में आज भी एनकाउंटर और सर्च ऑपरेशन जारी है। यहां सोमवार को आतंकियों से मुठभेड़ में सोमवार को JCO समेत 5 सैनिक शहीद हो गए। यहां हमला करने वाले आतंकी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए थे। डेढ़ साल बाद ये पहली बार है जब एक मुठभेड़ में इतने सैनिक शहीद हुए हैं। इससे पहले 3 मई 2020 को एक आतंकी हमले में 5 सैनिक शहीद हुए थे।

सोमवार को कश्मीर में पांच अलग-अलग जगहों पर सेना की आतंकियों से मुठभेड़ हुईं। इन घटनाओं में सुरक्षाबलों ने इन घटनाओं का पैटर्न भी एक जैसा था। सूचनाओं के आधार पर जवानों ने सर्च ऑपरेशन लॉन्च किए। इसी दौरान आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इस दौरान दो जगहों पर एक-एक आतंकी मार दिए गए। सेना ने कहा है कि सभी आतंकियों के खात्मे तक सर्च ऑपरेशन जारी रखे जाएंगे।

सरकार ने कश्मीरी विस्थापितों और पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों को 45 लाख मूलनिवासी प्रमाणपत्र बांटे हैं। इससे गैर-मुस्लिम उत्साहित थे और यही आतंकियों की बौखलाहट की वजह है। इसलिए न सिर्फ हिंदुओं, बल्कि सिखों को भी निशाना बनाया जा रहा है, ताकि इनमें दशहत फैले।

5 अगस्त 2019 को कश्मीर से आर्टिकल 370 हटा दिया गया। उसके बाद से 5 अगस्त 2021 तक एक भी हिंदू परिवार का विस्थापन नहीं हुआ। जम्मू-कश्मीर प्रशासन इसे अपनी उपलब्धि बता रहा था। यह बात आतंकियों को लगातार परेशान कर रही थी। इसलिए, उन्होंने गैर-मुस्लिमों पर हमले शुरू किए हैं।

LOC पर सख्ती की वजह से सेना को घुसपैठ रोकने में कामयाबी मिली है। दूसरी ओर घाटी में सेना ने संदिग्ध युवाओं के परिवार के साथ मिलकर नए आतंकियों की भर्ती पर भी लगाम लगा रखी है। कई युवाओं को मुख्यधारा में लाया गया है। इन दो वजहों से आतंकी संगठनों के पास घाटी में स्थानीय लड़ाकों की कमी है। इसलिए पाकिस्तान से संचालित होने वाले आतंकी संगठनों ने पार्टटाइम आतंकियों से हमले कराने का तरीका अपनाया है। यह बात मिलिट्री इंटेलिजेंस एजेंसियों को घाटी में बैठे हैंडलर्स को पाकिस्तान से भेजे गए संदेशों को इंटरसेप्ट करने से पता चली है। ये संदेश घाटी में स्लीपर सेल्स के हैंडलर्स को आते हैं। पिछले दिनों मखनलाल बिंद्रू जैसे आम नागरिकों पर जो हमले हुए, उनमें शामिल हमलावर नए थे। उनका कोई रिकॉर्ड नहीं है। आतंकी संगठन ऐसे आतंकियों को मोटी रकम देकर सिर्फ एक हमले में इस्तेमाल कर रहे हैं।

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