ईरान में बेटे की मौत पर इंसाफ मांगने वाली एक मां को कथित कोर्ट ने 100 कोड़े मारने की सजा सुनाई है। महिला का नाम मेहबूबा रमजानी है। उनके बेटे जमान घोलीपुर को 2019 में महंगाई के खिलाफ चले आंदोलन में हिस्सा लेने के दौरान सुरक्षा बलों ने गोली मार दी थी। बाद में उसकी मौत हो गई थी। अब रमजानी को बेटे की मौत पर इंसाफ मांगने के मामले में 100 कोड़े मारने की सजा दी गई है। 2019 के आंदोलन में कई युवा मारे गए थे। रमजानी अफसरों को सजा दिलाने के लिए ‘मदर्स ऑफ जस्टिस’ कैंपेन चला रही थीं।
यरूशलम पोस्ट’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मेहबूबा रमजानी को पिछले हफ्ते हिजाब के खिलाफ आंदोलन चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया। जब अवाम का दबाव बढ़ा तो उन्हें कुछ और महिलाओं के साथ रिहा कर दिया गया।
खास बात यह है कि ईरान में हजारों महिलाएं हिजाब को मेंडेटरी बनाने के खिलाफ आंदोलन चला रही हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें पुलिस हिजाब न पहनने पर एक महिला को गिरफ्तार करके ले जा रही थी। वहां सैकड़ों लोग जुट गए और पुलिस एक्शन का विरोध किया। इस पर पुलिस अफसर भाग खड़े हुए।
अमेरिका में रहने वाली ईरान की दो जर्नलिस्ट ने रहमानी को इंसाफ दिलाने के लिए मानवाधिकार संगठनों से मदद मांगी है। इसके अलावा वर्ल्ड मीडिया ने इस बारे में आवाज उठाई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक- 2019 में रमजानी का बेटा महंगाई के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन का हिस्सा था। उसी दौरान सरकार ने पुलिस और ईरानी सेना (रिवोल्यूशनरी गार्ड) को आंदोलन कुचलने का आदेश दिया।
पुलिस और फौज ने आंदोलनकारियों पर फायरिंग की। इसमें कई युवा मारे गए। इनमें रमजानी का बेटा जमान घोलीपुर भी शामिल था। रमजानी ने सरकार से कहा- यह आंदोलन तुम्हें कहीं का नहीं छोड़ेगा। लाखों लोग इंसाफ मांग रहे हैं।
रमजानी को इंसाफ तो नहीं मिला, उल्टा शरिया अदालत ने उन्हें 100 कोड़े मारने की सजा सुना दी। नॉर्वे में रहने वाली ईरानी मूल की पत्रकार मिना बाई ने सोशल मीडिया पर रमजानी और उनके मारे गए बेटे का फोटो पोस्ट करते हुए पूछा- क्या इसे ही इंसाफ कहते हैं। ईरान की सरकार उन मारे गए युवाओं की माताओं की आवाज कुचलना चाहती है, जो इंसाफ मांग रही हैं। ये कैसी सरकार है जो इन्हें न्याय नहीं दिला सकती।
अब तक रमजानी को 100 कोड़े मारे जाने की तारीख का ऐलान नहीं हुआ है। ईरान सरकार पर सजा रद्द करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 के आंदोलन में करीब 1500 लोग मारे गए थे। इनमें ज्यादातर युवा थे।