लोकायुक्त अधिकारियों के मुताबिक, प्रशांत कर्नाटक एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस के 2008 बैच के अधिकारी हैं। उन्होंने साबुन और अन्य डिटर्जेंट बनाने के लिए कच्चे माल को खरीदने की डील के लिए एक ठेकेदार से 80 लाख रुपए की डिमांड की थी। जिसके बाद ठेकेदार ने इसकी शिकायत लोकायुक्त से की थी। जिसके बाद प्रशांत को रंगे हाथ पकड़ने के लिए योजना बनाई गई।
अधिकारी ने बताया कि KSDL के चेयरमैन और भाजपा विधायक मदल वीरुपक्षप्पा ओर से ये रकम ली गई है। ऐसे में रिश्वत लेने के इस मामले में पिता और पुत्र दोनों आरोपी हैं।
प्रशांत के पिता मदल वीरुपक्षप्पा कर्नाटक के दावणगेरे जिले के चन्नागिरी से विधायक हैं। उन्होंने कहा- मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। इसकी जानकारी मुझे मीडिया के जरिए मिली। इस बारे में मैंने अपने बेटे से बात नहीं की है, क्योंकि वह अब लोकायुक्त की कस्टडी में है। मैं किसी टेंडर में शामिल नहीं हूं।