राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। भारत में एक वेजिटेरियन थाली की कीमत जून की तुलना में जुलाई में 34% बढ़ गई है। क्रिसिल ने सोमवार (7 अगस्त) को जारी किए अपने फूड प्लेट कॉस्ट के मंथली इंडिकेटर में इस बात की जानकारी दी है।
टमाटर की महंगाई ने बढ़ाई वेज थाली की कीमत
क्रिसिल के मुताबिक, वेजिटेरियन थाली की कीमत बढ़ने का 25% कारण टमाटर की महंगाई को माना जा सकता है। जून में 33 रुपए प्रति किलोग्राम से 233% बढ़कर जुलाई में टमाटर की कीमत 110 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है।
लगातार तीसरे महीने वेज थाली की कीमत बढ़ी
यह लगातार तीसरा महीना है, जब वेजिटेरियन थाली की कीमत बढ़ी है। वहीं 2023-24 में यह पहली बार है, जब थाली की कीमत साल-दर-साल (YoY) बढ़ी है। इसके अलावा नॉन वेजीटेरियन थाली की कीमत भी बढ़ी है, लेकिन इसमें महीने-दर-महीने सिर्फ 13% की ही बढ़ोतरी हुई है।
ऐसे कैलकुलेट होती है थाली की एवरेज कॉस्ट
क्रिसिल ने नॉर्थ, साउथ, ईस्ट और वेस्ट इंडिया में मौजूदा फूड कीमतों के आधार पर घर में थाली तैयार करने की एवरेज कॉस्ट कैलकुलेट की है। मंथली चेंज से आम आदमी के खर्च पर असर पड़ता है।
क्रिसिल के डेटा से अनाज, दालें, ब्रॉयलर्स (चिकन), सब्जियां, मसाले, एडिबल ऑयल और कुकिंग गैस सहित उन सामग्रियों का भी पता चलता है, जो थाली की कीमत में बदलाव लाते हैं।
वेज थाली में रोटी, सब्जियां (प्याज, टमाटर और आलू), चावल, दाल, दही और सलाद शामिल होता है। वहीं नॉन-वेज थाली के लिए दाल की जगह चिकन को शामिल किया गया है।
प्याज-आलू की कीमतों से भी बढ़ी थाली की कॉस्ट
एजेंसी ने अपने इंडिकेटर में कहा, ‘प्याज और आलू की कीमतों में महीने-दर-महीने 16% और 9% की ग्रोथ हुई है। इस वजह से भी थाली की कॉस्ट बढ़ी है।’ क्रिसिल ने कहा कि मिर्च और जीरा की कीमतें भी जुलाई में 69% और 16% बढ़ीं हैं।
हालांकि, थाली में इन सामग्रियों का इस्तेमाल कम मात्रा में होता है। यही वजह है कि एक थाली की लागत में इन सामग्रियों का योगदान सब्जियों की तुलना में कम ही रहता है।
नॉन-वेज थाली की कॉस्ट धीमी गति से बढ़ी
क्रिसिल के इंडिकेटर के अनुसार, नॉन-वेज थाली की कॉस्ट धीमी गति से बढ़ी है। क्योंकि ब्रॉयलर्स यानी चिकन की कीमत जुलाई में 3-5% घटी है, जो नॉन-वेज थाली की लागत का 50% से ज्यादा है।
इंडिकेटर के मुताबिक, वेजिटेबल ऑयल की कीमत में महीने-दर-महीने 2% की गिरावट ने थाली की कॉस्ट में ग्रोथ से कुछ हद तक राहत दी है।