NASA अगले साल भारतीय एस्ट्रोनॉट को स्पेस स्टेशन पर भेजेगा:जानते हैं कैसे बनते हैं अंतरिक्ष यात्री? बेहद कठिन होती है ट्रेनिंग

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राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि! भारत ने पिछले कुछ सालों में स्पेस सेक्टर में जबरदस्त कामयाबियां हासिल की हैं. मगर अंतरिक्ष में किसी इंसान को भेजना अभी भी उसकी पहुंच से दूर रहा है. स्पेस में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा थे. उन्होंने ये मुकाम 1984 में हासिल किया था. हालांकि, एक बार फिर से भारत अंतरिक्ष में अपने एस्ट्रोनोट्स को भेजने वाला है. इस मिशन को अगले साल अंजाम दिया जाएगा. इस काम में अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा उसकी मदद करेगी. 

दरअसल, नासा चीफ बिल नेल्सन ने मंगलवार (28 नवंबर) को ऐलान किया कि अमेरिका 2024 के अंत तक एक भारतीय एस्ट्रोनोट को ट्रेनिंग देने और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर भेजने में मदद करेगा. उन्होंने कहा, ‘एस्ट्रोनोट का सेलेक्शन इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) के जरिए होगा. इसमें नासा की कोई भूमिका नहीं होगी. मिशन को लेकर अन्य जानकारियों पर काम किया जा रहा है.’ नेल्सन भारत-अमेरिका अंतरिक्ष सहयोग बढ़ाने भारत आए हैं.

चंद्रयान मिशन के लिए मिली बधाई 

नासा चीफ ने कहा, ‘भारत अमेरिका का सबसे बड़ा साझेदार है और साथ ही यह स्पेस में एस्ट्रोनोट्स से जुड़ी गतिविधियों में अच्छा साथी है. अमेरिका अगले साल चंद्रमा के साउथ पोल पर कई प्राइवेट लैंडर लॉन्च करने वाला है. हालांकि, फैक्ट ये है कि भारत वहां लैंड करने वाला पहला देश है, इसलिए वह बधाई का पात्र है.’ उच्च-स्तरीय अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए नेल्सन ने अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह से मुलाकात की. इस दौरान चंद्रयान-3 के लिए बधाई भी दी गई. 

कमर्शियल स्पेस स्टेशन बनाने में मदद करने की बात की

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बिल नेल्सन ने कहा कि भारत अगर स्पेस में अपना पहला स्पेस स्टेशन बनाना चाहता है, तो अमेरिका उसके साथ काम करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत 2040 तक कमर्शियल स्पेस स्टेशन बनाना चाहता है. अगर भारत हमारे साथ काम करना चाहता है, तो हम हमेशा उसके लिए मौजूद हैं. लेकिन ये पूरी तरह से भारत के ऊपर निर्भर करता है.’

उन्होंने कहा कि नासा भारत के साथ इंटरप्लेनेटरी मिशन की योजना बनाने के लिए भी तैयार है. मगर ये इसरो पर निर्भर करता है. नेल्सन ने अंतरिक्ष मंत्री जितेंद्र सिंह से भारत के पहले एस्ट्रोनोट को नासा के रॉकेट से आईएसएस पर भेजने से संबंधित प्रोग्राम में तेजी लाने का भी आग्रह किया. उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका साथ मिलकर अगले साल सबसे महंगे सैटेलाइट नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (NISAR) लॉन्च करने वाले हैं. इसकी कीमत एक अरब डॉलर है. 

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