राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। भयानक गरीबी और भुखमरी से जूझ रहे अफगानिस्तान के लिए तालिबान सरकार ने राष्ट्रीय बजट का मसौदा तैयार किया है। इस बजट की खास बात यह है कि इसे तैयार करने के लिए तालिबान ने किसी भी तरह की विदेशी मदद नहीं ली। हालांकि यह बजट किस तरह का होगा इसे लेकर अभी कोई खुलासा नहीं हुआ। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह बजट 100 अरब अफगानी रुपए के आस पास होगा।
तालिबान के प्रवक्ता अहमद वली हकमल ने कहा- हम अपने घरेलू राजस्व से बजट तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं, हमें भरोसा है कि हम ऐसा कर लेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बजट को मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास भेजा गया है। मंजूरी के बाद ही इसके बारे में पूरी जानकारी मिल पाएगी। यह भी अनुमान है कि यह बजट पिछले बजट का सिर्फ 25 फीसदी ही होगा।
15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबानी कब्जे के बाद दुनिया भर के देशों ने विदेशी मदद रोक दी। अमेरिका ने भी अफगानिस्तान के 10 अरब डॉलर फ्रीज किए हुए हैं। पहले से ही गरीबी और सूखे का सामना कर रहे अफगान लोगों के हालात, तालिबानी कब्जे के बाद और ज्यादा खराब हो गए। बीते 20 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि बिना किसी विदेशी मदद के अफगानी बजट तैयार किया गया।
अशरफ गनी सरकार ने IMF की गाइडलाइन को ध्यान रखते हुए 2021 का बजट तैयार किया था। इस बजट में एक बड़ा हिस्सा घरेलू राजस्व से मिलने की संभावना थी, लेकिन तालिबान को सत्ता मिलने के बाद से घरेलू राजस्व बुरी तरह से प्रभावित हुआ। वहीं, दूसरी और अफगानी रुपया भी लगातार गोते खा रहा है। 15 अगस्त से पहले जहां 1 डॉलर के मुकाबले अफगानी रुपए की कीमत 80 थी, अब ये 130 पहुंच गई।
तालिबान का दावा है कि बीते ढाई महीनों में उनसे 26 अरब अफगानी रुपए का रेवेन्यू जमा किया है, जिसमें 13 अरब रुपए बॉर्डर टैक्स के जरिए मिले। तालिबान ने गरीबों की मदद के नाम पर एक इस्लामिक टैक्स भी लगाया। हालांकि तालिबान प्रवक्ता ने यह बात भी मानी है कि कई महीनों से सरकारी कर्मचारियों को उनकी सैलरी नहीं दी गई।





