राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। मीना कुमारी जब पैदा हुईं तो उनके परिवार में कोई खुशी नहीं मनाई गई। मीना कुमारी के पिता को बेटे की उम्मीद थी लेकिन पैदा हुई मीना यानि कि ‘महजबीं बानो’। 1 अगस्त 1933 को मुंबई में जन्मी लिया और मीना ने 31 मार्च 1972 को मुंबई में ही दम तोड़ दिया। गजब की खूबसूरत थीं मीना कुमारी लेकिन किस्मत भी इतनी ही खूबसूरत होती तो बात ही क्या थी। घर की माली हालत ठीक नहीं थी इसलिए कम उम्र में ही काम करना पड़ा। मीना कुमारी बचपन में मां-बाप और भाई बहनों के लिए एक्टिंग कर पैसे कमाती थीं, बाद में यही उनका शौक बन गया। मीना कुमारी ने स्कूल में पढ़ाई नहीं की थी लेकिन उन्हें कई भाषाओं का ज्ञान था। उन्हें शायरी का बेहद शौक था। मीना कुमारी पहली बार 1939 में निर्देशक विजय भट्ट की फिल्म “लैदरफेस” में बेबी महजबीं के रूप में नजर आईं। साल 1952 में आई फिल्म ‘बैजू बावरा’ ने उनको बुलंदियों तक पहुंचाया। यह फिल्म लोगों को इतनी पंसद आई थी कि 100 हफ्तों तक थियेटर में लगी रही। कहा जाता है कमाल अमरोही मीना को लेकर बहुत पजेसिव रहते थे। मीना कुमारी के मेकअप रूम में किसी मेल शख्स की एंट्री पर सख्त पाबंदी थी। उन्होंने एक असिस्टेंट मीना कुमारी के साथ लगा रखा था ताकि वे हर पल नजर रख सकें। एक रोज दोनों के बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया और कमाल ने मीना को तीन तलाक दे दिया। मीना कमाल का घर छोड़कर चली गईं। मीना कुमार का नाम धर्मेंद्र के साथ जोड़ा गया। हद से ज्यादा शराब पीने की वजह से उन्हें लीवर सिरोसिस की बीमारी हो गई। कहते हैं आखिरी दिनों में भी वे दवाइयों की जगह शराब ही पीती थीं। जब मीना कुमारी बहुत ज्यादा बीमार हो गईं तो आखिर तक जो चंद फिल्मी दोस्त उनसे मिलने आते थे उनमें धर्मेंद्र भी एक थे। और आखिरकार 31 मार्च 1972 को उनका निधन हो गया।