राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । अयोध्या की भव्य और दिव्य दिवाली के लिए तैयारियां अंतिम दौर में है। शहर में 15 किमी के दायरे में घाटों से लेकर मंदिरों और सड़कों तक को लाइटिंग, साउंड, दीयों और रंगोलियों के जरिए सजाया जा रहा है। राम की पैड़ी पर जहां 9 लाख दीये जलाए जाने हैं, वहां जाने वाले रास्ते के दोनों तरफ 30 मेन गेट बनाए जा रहे हैं।
लकड़ी की बल्लियों से तोरण द्वार बनाए गए हैं, जिन पर लाइटों से श्रीराम, सीता और हनुमान के चित्र उकेरे जा रहे हैं। ये लाइटें पश्चिम बंगाल से आई हैं और इन्हें वहीं से आए कलाकार लगा रहे हैं। फिलहाल तकरीबन 80% काम पूरा हो चुका है।
सभी कारीगर कोलकाता के रहने वाले हैं। पिछले 10 दिन से अयोध्या में हैं। जो 30 गेट तैयार किए जा रहे हैं उनमें 28 छोटे और 2 बड़े हैं। 1 छोटे गेट में 25 हजार लाइटें लगाई जा रही हैं। बड़े गेट में 50 हजार लाइटें लगाई जा रही हैं। कुल मिलाकर सभी गेटों में 10 लाख लाइटें लगेंगी। इन्हीं लाइटों की रोशनी ने 3 नवंबर को अयोध्या जगमगाएगी और नहाएगाी। खास बात है कि ये लाइटें कोलकाता की होम मेड लाइट्स हैं।
अयोध्या में लाइट्स को लगाने वाली बंगाली कंपनी का पूरा कारोबार कोलकाता में ही है। यहीं पर इन झालरों और लाइट्स को तैयार किया जाता है।
मनोज शाहा कहते हैं कि हम इससे पहले गुजरात से लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक तक ये लाइटें लगा चुके हैं। केवड़िया में बल्लभ भाई पटेल की स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के उद्दाट्न के दौरान भी हमारी टीम वहां लाइटिंग करने गई थी। ये लाइटें और झालरें हमारे कारीगर यहीं कोलकाता के चंद्रानगर में बनाते हैं। बस इसका सामान चीन से जरूर मंगाते हैं। ये काम हम पिछले 35 सालों से कर रहे हैं।
अयोध्या में कोलकाता से आए लाइटिंग कारीगर राजू और उनके साथी रातभर जगकर अयोध्या में लाइटों को लगाने का काम कर रहे हैं। राजू कहते हैं कि एक गेट में हम 60 साइड पैनल लगा रहे हैं, जो पिछली बार से ज्यादा हैं। हमें इस उत्साह और पर्व के मौके पर यहां काम करके बहुत अच्छा लग रहा है। पिछले दो साल से काम का मौका नहीं मिल रहा था, क्योंकि कोरोना था। इस बार बंगाल में दुर्गा पूजा भी काफी फीकी रही। वहां सरकार ने तमाम प्रतिबंध लगा दिए थे। काली पूजा पर भी लाइटिंग नहीं कर पाए थे। इसलिए यहां आने से रोजगार भी मिल गया है।