राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं उन्हें सही आकार देने की जरूरत होती है। बच्चों को सही परवरिश की मदद से बेहतर इंसान और जीवन में कामयाब बनाया जा सकता है। लेकिन कई बार माता-पिता अनजाने में ही कुछ ऐसा बोलते हैं। जिसका बच्चों पर बुरा असर पड़ता है। वैसे भी बच्चों की परवरिश कोई बच्चों का खेल नही है। बहुत सोच-समझकर और अच्छी बातें सिखाने पर ही आगे चलकर अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं। कई बार बच्चों का मन रखने के लिए या फिर उनका ध्यान भटकाने के लिए कुछ ऐसी बातें बोल देते हैं। जिनका उनके नाजुक मन पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए कुछ बातें बच्चों के सामने मजाक में भी नहीं कहनी चाहिए। अक्सर माता-पिता बच्चे की गलती पर दूसरों से तुलना कर देते हैं कि तुमसे अच्छा तो छोटा/ बड़ा भाई-बहन है। या तुमसे अच्छा तो तुम्हारा दोस्त है। इस तरह की तुलना कई बार बच्चों के नाजुक मन पर गहरा असर डालती है। बार-बार ये कहने पर उसे यकीन हो जाता है कि सच में बाकी सारे उससे बेहतर हैं। और बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगता है। इसलिए बच्चों की तुलना दूसरे से भूलकर भी ना करें। तुम किसी काम के नहीं हो, जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं वो नई बातें सीखते हैं। मां-बाप भी उन्हें कुछ जिम्मेदारियां देते हैं। लेकिन अगर वो काम अच्छे से नहीं होता तो डांटने के साथ ही ये कह देते हैं कि तुम किसी काम के नहीं हो। बच्चों के सामने किसी दूसरे को या फिर बच्चे को कभी भी अपशब्द या गाली नहीं देना चाहिए। इससे भी बच्चे के नाजुक मन पर गहरा असर पड़ता है।