राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । शास्त्रों में बेहतर और खुशहाल जीवन के लिए कई उपाय और नियम बताए गए हैं। इनमें खान-पान, रहन-सहन, आचार-व्यवहार से लेकर स्त्री पुरुष संबंधों तक की बात की गई है। शास्त्र कहता है व्यक्ति द्वार किए जाने वाले हर काम का उसके जीवन पर प्रभाव पड़ता है। अपने कर्मों के प्रभाव से ही व्यक्ति स्वस्थ्य और बीमार होता है। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति भी उसकी दिनचर्या से प्रभावित होती है। इसलिए हर काम के लिए शास्त्रों में समय का निर्धारण किया गया है इस क्रम में बताया गया है कि चार काम ऐसे हैं जिन्हें सूर्यास्त यानी शाम के समय नहीं करना चाहिए।
- शाम के समय बीमार और बच्चों के अलावा किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को नहीं सोना चाहिए। शाम के समय सोने से व्यक्ति बीमार होता है और देवी लक्ष्मी भी नाराज होती हैं।
- सूर्यास्त दिन और रात का संधिकाल होता है यह ध्यान और साधना का समय होता है। इस समय काम भाव को नियंत्रित रखना चाहिए और स्त्री पुरूष प्रसंग से बचना चाहिए। इस समय गर्भधारण से उत्पन्न संतान संस्कारी नहीं होता है और परिवार की मर्यादा को चोट पहुंचाता है।
- मनुसंहिता में बताया गया है कि ‘चत्वारि खलु कार्याणि संध्याकाले विवर्जयेत्। आहारं मैथुनं निद्रां स्वाध्यायन्च चतुर्थकम्।। यानी चार काम ऐसे हैं जो शाम के समय नहीं करना चाहिए। जिनमें पहला काम है भोजन। यानी सूर्यास्त के समय भोजन नहीं करना चाहिए। कहते हैं इससे अगले जन्म में पशु योनी में जन्म मिलता है।