राष्ट आजकल प्रतिनिधि । भारत और ब्रिटेन के बीच वैक्सीन सर्टिफिकेशन और क्वारैंटीन विवाद खत्म होने के बाद दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने पहली बार फोन पर बातचीत की। इस दौरान आपसी संबंधों के अलावा अफगानिस्तान और तालिबान पर भी बातचीत हुई। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया था।
अफगानिस्तान की हुकूमत पर कब्जा करने के बाद तालिबान मानवाधिकार से जुड़े वादे पूरे नहीं कर रहा है। जॉनसन ने इन वादों को पूरा कराने के लिए और तालिबान बनाने के लिए मोदी से मदद मांगी। दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात, अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों और भारत-ब्रिटेन के साझा रोडमैप 2030 समेत तमाम मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की।
ब्रिटिश पीएम के कार्यालय डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा- दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान के मौजूदा हालात पर चिंता जताई। मोदी ने जॉनसन की इस बात पर सहमति जताई कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों की बहाली के लिए तालिबान के साथ संपर्क की दिशा में एक दुनिया को साथ लाना होगा।
खलीज टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जॉनसन ने मोदी को कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में ब्रिटेन की तरफ से उठाए जा रहे कदमों की जानकारी भी साझा की। दोनों देशों के बीच पिछले महीने वैक्सीन सर्टिफिकेशन और क्वॉरैंटीन रूल्स को लेकर मतभेद हुए थे। जॉनसन ने इस बारे में सफाई भी दी।
ब्रिटेन ने भारत में बने कोविशील्ड टीके की खुराक लेने वाले भारतीय यात्रियों को अपने देश में क्वारैंटाइन रखने की घोषणा की थी। बाद में भारत ने भी इसी तरह के नियमों का ऐलान किया था। बाद में ब्रिटेन ने अपना फैसला वापस ले लिया था। दोनों नेताओं ने माना कि इस विवाद का सही हल निकाला गया है।
जॉनसन ने माना कि भारत वैकल्पिक ऊर्जा में आगे है और पहले ही नवीकरण तकनीक (रिन्यूवल एनर्जी टेक्नोलॉजी ) में विश्व का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने आगामी कॉप26 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन पर ठोस प्रगति की अहमियत का भी जिक्र किया। जॉनसन ने उम्मीद जताई कि भारत अपने यहां शून्य उत्सर्जन का स्तर हासिल करने के लिए तमाम जरूरी कदम उठाएगा। कॉप26 के 31 अक्तूबर से 12 नवंबर तक ग्लास्गो में होने जा रहे आगामी शिखर सम्मेलन में मोदी भी शिरकत करेंगे।