भोपाल में जीपीएस युक्त वाहन की मदद से घर्षण परीक्षण किया गया। परीक्षण के दौरान 9 हजार फुट लंबे रन-वे पर लैंडिंग के दौरान आने वाली कोई बाधा नजर नहीं आई। एयरपोर्ट डायरेक्टर अनिल विक्रम के मुताबिक रन-वे घर्षण परीक्षण सफल रहा। यहां हाई-स्पीड विमान भी उतर सकते हैं।

भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण विमानों की सुरक्षित लैंडिंग कराने के उद्देश्य से समय-समय पर हवाई अड्डों के रन-वे का घर्षण परीक्षण कराता है। एक विशेष वाहन की मदद से यह देखा जाता है कि रन-वे लैंडिंग के समय तेज गति से आ रहे विमानों का भार सहन करने में सक्षम है या नहीं।
Bhopal Airport देश के सबसे सुरक्षित हवाई अड्डों की सूची में भोपाल का राजा भोज एयरपोर्ट भी शामिल हो गया है। एयरपोर्ट के रन-वे पर री-कार्पेटिंग के दो साल बाद घर्षण परीक्षण किया गया, इसे दौरान कोई कमी नहीं मिली। यानि यहां पर बड़े विमानों की सुरक्षित लैंडिंग में भी कोई बाधा नहीं है। हवाई अड्डों के रन-वे का घर्षण परीक्षण सुरक्षा की दृष्टि से किया जाता है। एयरफील्ड सेफ्टी का यह जरूरी अंग माना जाता है। कहा जाता है कि पिछले दिनों केरल के करिपुर हवाई अड्डे पर हुए एयर इंडिया एक्सप्रेस विमान हादसे का एक कारण खराब रन-वे होना भी था। वहां लंबे समय से रन-वे का घर्षण परीक्षण नहीं होने की बात सामने आई थी।
सीमेंटेड कारपेट खराब होने से व्हील बेस टच होते ही झटका महसूस होता है, टायर फटने जैसी घटनाएं होती हैं। री-कार्पेटिंग होने के बाद यह समस्या नहीं रहती। राजा भोज एयरपोर्ट पर दो साल पहले रन-वे पर री-कार्पेटिंग कराई कराई गई थी। इसके पहले कई बार विमानों के टायर फटने की घटनाएं हुई थीं। री-कार्पेटिंग के बाद कोई भी ऐसी घटना नहीं हुई। री-कार्पेटिंग पर 9 करोड़ रूपए खर्च किए गए थे। अब घर्षण परीक्षण होने के बाद एयरपोर्ट का सुरक्षित हवाई अड्डों में शामिल हो गया है।
इसमें यह देखा जाता है कि विमानों के टायर स्पर्श होते समय कोई बाधा तो नहीं आ रही है। विमान लैंड होते वक्त सबसे पहले टायर रन-वे को स्पर्श करते हैं। रन-वे सीमेंट से बना होता है। सीमेंटेड हिस्से पर कारपेट की तरह बेस बनाया जाता है ताकि विमानों के टायर खराब न हों। इसी रन-वे पर घर्षण परीक्षण होता है।