सरकारी और नि:शुल्क इलाज के लिए अनुबंधित निजि अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए कुल बेड (बिस्तर) की संख्या फिलहाल 24,382 है। इनमें आइसीयू के सिर्फ 644 बेड हैं, जिनमें से 477 बेड भर गए हैं, जो 167 खाली बेड हैं, इनमें भी अधिकांशतः जिला अस्पतालों में खाली हैं।
भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): जिला अस्पतालों में सुविधाओं के अभाव के कारण मरीज भर्ती होना नहीं चाहते। प्रदेश में कोरोना का इलाज करा रहे मरीजों की संख्या 22 सितंबर तक 22,646 पर पहुंच गई है।
20 सितंबर की स्थिति में निजी और सरकारी अस्पतालों में मिलाकर 909 मरीज आइसीयू में भर्ती थे, जिनमें 160 वेंटिलेटर पर थे। भोपाल व इंदौर में तो हालत ये है कि सरकारी व अनुबंधित अस्पतालों में आइसीयू बेड नहीं मिलने पर मरीजों को निजी अस्पतालों में भर्ती होना पड़ रहा है।
निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर पर गए मरीज के इलाज में प्रतिदिन 15 हजार रुपये से अधिक का खर्च हो रहा है। वहीं कोविड मरीजों के साधारण (आइसोलेशन बेड) को लेकर स्थिति ठीक है। कोविड अस्पताल, कोविड स्वास्थ्य केंद्र, कोविड केयर केंद्र व प्रदेश के सरकारी और अनुबंधित निजी अस्पतालों में कुल 23,738 साधारण बेड हैं, जिनमें से 8,308 बेड ही भरे हैं।
बिस्तर कम होने के चलते स्वास्थ्य विभाग बिना लक्षण वाले 40 फीसद मरीजों को होम आइसोलेशन में रखने की तैयारी में है। अभी कुल मरीजों में 35 फीसद होम आइसोलेशन में हैं। इसकी बड़ी वजह है कि साधारण लक्षण वाले 7,884 मरीज घरों में ही आइसोलेशन में हैं। अभी 22,646 सक्रिय मरीज हैं, जबकि उपलब्ध बिस्तर 24,382 हैं। 100 से 150 सक्रिय मरीज रोज बढ़ रहे हैं। ऐसे में 15 दिन में मरीजों की संख्या उपलब्ध बेड से ज्यादा हो जाएगी।
मरीजों की संख्या बढ़ने का अनुमान पहले से होने के बाद भी आइसीयू बेड की संख्या नहीं बढ़ाई गई। नए निजी अस्पतालों से अनुबंध नहीं किया। दुष्परिणाम ये हुआ कि गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों को छोड़कर अन्य कहीं आइसीयू बेड नहीं मिल पा रहे हैं।
देश में कोरोना की दस्तक हुए छह महीने पूरे होने के बाद भी बिस्तरों की संख्या नहीं बढ़ाई। अब 31 अक्टूबर तक प्रदेश में 55 हजार सक्रिय मरीज होने का अनुमान स्वास्थ्य विभाग ने लगाया है। ऐसे में करीब 2500 लोगों को आइसीयू बेड की जरूरत होगी। यानी, मौजूदा क्षमता से चार गुना ज्यादा बिस्तर बढ़ाने होंगे।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए जिला अस्पतालों में 10 से 20 बिस्तर के आइसीयू बनाए हैं। कुछ जगह बनाने का काम चल रहा है। जिला अस्पतालों के आइसीयू खाली हैं। दरअसल, मरीज यहां भर्ती होने की जगह मेडिकल कॉलेजों में इलाज के लिए जा रहे हैं। भोपाल के जिला अस्पताल में 20 बिस्तर का आइसीयू बना है, पर सिर्फ तीन मरीज भर्ती हैं, जबकि बाकी कोविड अस्पतालों के आइसीयू में एक भी बिस्तर खाली नहीं है।