चुनाव से पहले कांग्रेस ने समन्वय बनाकर पूर्व विधायक पारस सखलेचा, डॉ. आनंद राय और अजय दुबे को सक्रिय किया था। इन्होंने वचन पत्र तैयार कराने से लेकर मैदानी स्तर पर संघषर्ष भी किया था, लेकिन अब यह चेहरे नदारद हैं।

भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए माहौल बनाने में भूमिका निभाने वाले व्यापमं के आंदोलनकारी चेहरे उपचुनाव की पिक्चर से गायब हैं।
प्रदेश में विधानसभा चुनाव से प्रोफोशनल एग्जामिनेशन बोर्ड ([पुराना नाम व्यावसायिक परीक्षा मंडल)] के माध्यम से हुई परीक्षाओं में ग़़डब़़डी को पारस सखलेचा, डा. आनंद राय, अजय दुबे जैसे सूचना का अधिकार के कार्यकर्ताओं ने ही मुद्दा बनाया था। इसी तरह किसान व पंचायत आंदोलन के चेहरा रहे डीपी धाक़़ड और अभय कुमार मिश्रा भी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। दुबे ने तो अब कांग्रेस के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है। विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस नेताओं के खिलाफ अब वे सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं।
दुबे भी कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद दूर हो गए। इसी तरह मंदसौर के किसान आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले रतलाम जिला पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष डीपी धाक़़ड भी सत्ता के दौरान हाशिए पर ही रहे। कानूनी ल़़डाई में कांग्रेस नेता विवेक तनखा ने इनका साथ दिया, जिसकी वजह से सभी लोग कांग्रेस से भी जु़़डे। विधानसभा चुनाव 2018 में इन सभी ने कांग्रेस के आरोप पत्र और वचन पत्र को तैयार कराया। इसके लिए जरूरी दस्तावेज भी जुटाए। सखलेचा और डा. राय तो चुनाव ल़़डने की तैयारी भी कर चुके थे पर टिकट नहीं मिला।
किसकी क्या भूमिका होगी, यह पार्टी तय करती है। यदि हमें संदेश मिला तो पूरी शिद्दत से जुटेंगे। उधर, पारस सखलेचा का कहना है कि हम बदनावर क्षेत्र में लगे हैं। रीवा जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष अभय कुमार मिश्रा भी अपने काम धंधों में लग गए। इनमें से किसी की भी अब वैसी सक्रियता नहीं रह गई है, जैसी पिछले चुनाव में थी। धाक़़ड का कहना है कि आज भी किसान और नौजवान ही सबसे ब़़डा मुद्दा है। कांग्रेस ने सरकार में आने के बाद इन दोनों वर्गो के लिए काम की शुरआत की, जिससे कोई भी इन्कार नहीं कर सकता है।
व्यापमं को बंद करने और उसकी जांच पर कोई काम नहीं हुआ। सूचना का अधिकार के लिए सर्वाधिक शुल्क मध्यप्रदेश में लिया जा रहा है। पार्टी को विचार करना है कि किसका कैसे उपयोग किया जाए। सूचना का अधिकार आंदोलन के कार्यकर्ता अजय दुबे कांग्रेस से काफी खफा हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस जिन मुद्दों को लेकर सत्ता में आई थी, उन्हें ही सबसे पहले भुला दिया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के जिन घोटालों की जांच के लिए जन आयोग बनाने का वचन दिया था, उसे पूरा नहीं किया।
इसकी ओर से अभी तक पंचायत प्रतिनिधियों को कोई संकेत नहीं दिए गए हैं। यही वजह है कि टीम सक्रिय नहीं हुई है। संगठन के ब़़डे नेता अभय कुमार मिश्रा भी राजनीतिक गतिविधियों से हटकर अपने काम–धंधे में लग गए हैं। संघषर्ष के साथियों को सरकार में आते ही दूर कर दिया। सुशासन के स्थान पर व्यक्तिगत हित महत्वपूर्ण हो गए। उधर, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है कि यह चुनाव जनता और कार्यकर्ताओं के द्वारा ल़़डा जा रहा है। इनका प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ पर पूर्ण भरोसा है। जिसे जो जिम्मेदारी दी गई है, वो निभा रहा है। पंचायतराज संगठन भी मौन पिछले चुनाव में ग्रामीण क्षेत्रों में कांग्रेस के लिए काम करने वाला त्रिस्तरीय पंचायतराज संगठन भी उपचुनाव में मौन है।