ज्यादातर जांचें 15 दिन से, कुछ छह महीने से तो कुछ एक साल से बंद हैं। इससे बड़ी अव्यवस्था क्या हो सकती है जिला अस्पताल व सीएचसी में होने वाली जांचें भी मेडिकल कॉलेज से संबद्ध इस अस्पताल में नहीं हो रही हैं। अस्पताल में ज्यादातर गरीब मरीज आते हैं। यहां जांचें नहीं होने पर उन्हें 200 से 2 हजार रुपये तक खर्च कर निजी अस्पतालों से जांचें कराना पड़ रही हैं।

भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): मध्य प्रदेश राजधानी होने के नाते भोपाल शहर में मंत्री, कई बड़े नेता और अफसर रहते हैं। इसके बाद भी यहां के सबसे बड़े हमीदिया अस्पताल में ढेरों अव्यवस्थाएं हैं। हालत यह है कि मरीजों की सबसे सामान्य और जरूरी मानी जाने वाले सोडियम, पोटैशियम (सीरम इलेक्ट्रोलाइट) तक की जांच भी नहीं हो पा रही है। ऐसी ही एक दर्जन जरूरी जांचें यहां नहीं हो रही हैं।
बता दें कि कोरोना संक्रमण के पहले हर दिन करीब 500 मरीजों की लगभग 2400 जांचें हो रही थीं। अब मरीजों की संख्या कम होने की वजह से करीब 100 मरीज ही जांच के लिए पहंुच पैथोलॉजी लैब में आ रहे हैं। 15 दिन पहले तक हेपेटाइटिस बी व सी की जांच भी बंद थी। नेता, अफसरों को गरीब मरीजों को दर्द इसलिए समझ नहीं आता कि वह तारीफ तो सरकारी अस्पतालों की करते हैं, पर जब बीमार पड़ते हैं तो इलाज कराने के लिए निजी अस्पताल पहुंच जाते हैं। कॉलेज व अस्पताल के अधिकारी मरीजों की रोज दुर्दशा देखकर भी आंखें बंद किए हैं।
भर्ती मरीजों की सिर्फ शुगर, बिलरूबिन, इलेक्ट्रोलाइट और यूरिया की जांच होती है। जल्दी में अन्य जांच कराने की सलाह डॉक्टर देते हैं तो निजी लैब से करानी पड़ती है। अस्पताल में मरीजों की जांच में एक और बड़ी खामी है। जरूरी जांचों के लिए सिर्फ सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे तक सैंपल लिए जाते हैं। इसके बाद इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की जांच की कोई सुविधा ही नहीं है।
हमीदिया अस्पताल में कई अहम जांचें आज तक शुरू नहीं हो पाईं। विटामिन डी, विटामिन बी-12, सीपीके एलडीएच, माइक्रो एल्बुमिन, शरीर के अंगों में सूजन पता करने वाले संकेंतक जैसे डी-डाइमर, आइएल-6 आदि जांचें आज तक हमीदिया अस्पताल में शुरू ही नहीं हो पाई हैं। इसी तरह से हार्मोन और चमड़ी की बीमारी की कई जांचें अस्पताल में नहीं हो रही हैं, जबकि कोरोना संक्रमण के पहले विटामिन डी व विटामिन बी-12 की जांचें कराने की सलाह डॉक्टर हर दिन करीब 30 मरीजों को देते थे।