लोग रोज शाम को आग लगाकर भाग जाते हैं, जो रात भर धधकती रहती है और धुएं का स्तर बढ़ जाता है। क्षेत्र में पराली जलाने से फैल रहे धुएं के बावजदू प्रशासन की सख्ती कहीं नजर नहीं आ रही है।

भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): कटारा हिल्स क्षेत्र में रहने वाले कोरोना संक्रमित और दूसरी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए तीन-चार दिन से धुआं जानलेवा साबित हो रहा है। इसकी वजह खेतों में लगाई जा रही आग है।
बीते चार दिनों से रोज रात में आग से धुआं फैल रहा है। इस वजह से शुक्रवार तड़के 5 बजे क्षेत्र में काफी धुआं था। यह सुबह तक रहा, जो कि गुरुवार शाम से लेकर रात में लगाई गई आग की वजह से फैला था। रहवासी दो दिन पूर्व खेतों में आग लगाने की शिकायत स्थानीय प्रशासन को कर चुके हैं। कटारा हिल्स, बर्रई, बागसेवनिया, 11 मिल और रायसेन बायपास को जाने वाली सड़कों के किनारे मिलाकर 700 हेक्टेयर से अधिक धान का रकबा है। जहां से धान की कटाई हो चुकी है, जहां आग लगाई जा रही है।
बता दे कि खेतों में पराली को जलाने से धुएं से निकलने वाली कार्बन मोनोऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड गैसों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। जेपी अस्पताल से सेवानिवृत्त सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. ने बतोया कि कि पराली जलाने से हवा में कार्बन कण, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, राख और सल्फर डाइऑक्साइड की अधिकता हो जाती है। इस वजह से आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, खुजली व एलर्जी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। ऐसे मौसम में अस्थमा रोगियों की परेशानी बढ़ जाती है। कटारा हिल्स क्षेत्र में रहने वाले राहुल पंवार, उमाशंकर तिवारी आदि ने बताया कि रोज रात को धुएं का स्तर बढ़ जाता है। आंखों में जलन, खांसी, एलर्जी, गले में दर्द, बैचेनी हो रही है।
कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए भी खतरा बढ़ जाता है। मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व सदस्य हरभजन शिवहरे बताते हैं कि पराली का धुआं लोगों की सेहत के लिए हानिकारक है। जब तक यह धुंए का असर खत्म नहीं होता है तब तक लोग मास्क पहनकर बाहर निकलें। उन्होंने कहा कि धुआं से पैदा होने वाले प्रदूषण से बुजुर्गों समेत बच्चों को ज्यादा समस्या होती है।