इस बजट में स्थानीय प्रशासन जैसे आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, नगर निगम कर्मचारी, सैनिटाइजेशन, या अन्य स्टाफ का खाना-पीना शामिल नहीं है, यदि इन सब का खर्चा जोड़ लिया जाए तो बजट काफी अधिक पहुंचेगा।
भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): कोरोना से निपटने की तैयारियों पर मध्यप्रदेश सरकार 350 करोड़ से अधिक रुपए खर्च कर चुकी है, फिर भी प्रदेश में कोरोना संक्रमण बेकाबू होता जा रहा है। पिछले पांच माह 18 दिन की बात की जाए तो कोरोना के इलाज और इंतजामों पर ये बजट खर्च किया गया है।
इसमें भी होम आइसोलेशन में रहे मरीजों का खर्च शामिल नहीं है। कोरोना बजट की बात की जाए तो केंद्र से प्रदेश को 185 करोड़ रु मिले हैं।सबसे अधिक राशि संदिग्धों की सैंपलिंग, सैपलों की जांच और किट में खर्च हुई है। इन पर 125 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, यदि कुल खर्च को प्रति मरीज के हिसाब से देखा जाए तो एक मरीज पर अनुमानित 43 से 45 हजार रुपए का खर्च आया है।
सरकार का अनुमान है कि अक्टूबर में कोरोना और अधिक तेजी से फैल सकता है। ऐसे में अक्टूबर तक 450 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। जबकि 165 करोड़ रुपए प्रदेश के खजाने से खर्च किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि कोरोना से निपटने के लिए प्रदेश के पास फिलहाल 150 करोड़ रुपए का बजट रखा हुआ है।
प्रति सैंपल 1980 रुपये की दर से रोजाना करीब सवा करोड़ रु का भुगतान किया जा रहा है। बता दें कि सरकारी अस्पताल में एक सैंपल की जांच का खर्च 900 से 1000 रु आता है। वहीं मध्यप्रदेश की सरकारी लैब में पर्याप्त क्षमता है, फिर भी निजी लैब में जांच करवाई जा रही है। जिसमें रोज सवा करोड़ रु खर्च हो रहे हैं। सुप्राटेक लैब में जांच के लिए रोज 6000 से 7000 सैंपल भेजे जा रहे हैं।