हाल ही में मिली सूचना के अनुसार राजधानी में 45 मरीज ऐसे थे, जिनकी मौत कोरोना पाजिटिव रिपोर्ट मिलने वाले दिन ही हो गई। इनमें से कुछ तो अस्पताल में भर्ती होने से पहले ही दम तोड़ चुके थे। वहीं कुछ की मौत भर्ती होने के तीन से आठ घंटे के भीतर हो गई। जिला प्रशासन के कुछ अधिकारियो ने बताया कि इनमें से अधिकतर मौतें लापरवाहियों के चलते हुई है।
भोपाल (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): प्रसाशन द्वारा राजधानी में कोरोना से हुई सभी मौतों का ‘डेथ आडिट’ करवाया जा रहा है। इस रिपोर्ट में कई चौकाने वाले तथ्य उजागर हो रहे हैं। शहर में अब तक 394 मरीजों की मौत कोरोना संक्रमण के चलते हुई है। जैसे कि सर्वाधिक 105 मरीजों की मौत कोरोना रिपोर्ट आने के पांच से नौ दिन के भीतर हुई है.
बता दें कि डेथ आडिट करने के लिए एक समिति संभागायुक्त ने गठित की थी। इस समिति का प्रभारी गांधी मेडिकल कॉलेज की डीन को बनाया गया था। जांच रिपोर्ट संभागायुक्त को सौंपी जानी है। सूत्रों के मुताबिक जिन मरीजों की मौत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों या अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से हुई है, उनका जिक्र भी इस रिपोर्ट में है। इसलिए इसे सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार 115 मरीज ऐसे हैं, जिनकी मौत एक से चार दिन के भीतर हुई। इनमें से 40 लोगों की मौत तो पाजिटिव निकलने के चौथे दिन हुई है।
आपको बता दें कि भोपाल में बीते डेढ़ माह से हर दिन दो से पांच कोरोना मरीजों की जान जा रही है। कभी कभी यह आंकड़ा बढ़कर छह से नौ तक भी पहुंच जाता है। हाल ही में एक ही दिन में 13 मरीजों की मौत भी हुई थी। यही नहीं 90 से अधिक मरीज वेंटीलेटर पर और 200 से अधिक आक्सीजन सपोर्ट पर हैं। वेंटीलेटर सपोर्ट वाले मरीजों के हालात नाजुक है।
चौंकाने वाली एक खबर ये भी है कि जिले में चार मरीज ऐसे भी सामने आए हैं, जिनकी रिपोर्ट पाजिटिव आने की तारीख तो स्वास्थ्य विभाग को पता है, लेकिन उनकी मौत की तारीख की पुष्टि अब तक नहीं हुई है। वहीं कोरोना रिपोर्ट आने के इंतजार में कुछ लोगों का अंतिम संस्कार तक कर दिया गया। इस कारण भी शहर में कोरोना पाजिटिव मरीजों की संख्या बढ़ी है। 20 लोगों की मौत के बाद पता चला कि वे कोरोना पाजिटिव थे : कोरोना मरीजों के आंकड़े बताते हैं कि भोपाल में 20 मरीज ऐसे थे, जिनकी मौत के बाद ही पता चल सका कि वे कोरोना संक्रमित थे। इनमें से 15 मरीज की मौत कोरोना रिपोर्ट आने के इंतजार में ही एक दिन पहले ही हो गई। वहीं पांच मरीज ऐसे थे, जिनकी मौत के बाद उनके सैंपल हुए और दो से तीन दिन बाद वे पाजिटिव आए।
दहशत वाली बात ये भी है कि कोरोना ने एक से पांच माह तक के दो बच्चों की जान भी ली है। इसमें बैरसिया रोड के ईंटखेड़ी निवासी एक माह की बच्ची और नया बसेरा कोटरा सुल्तानाबाद की शिफा खान की पांच माह की बेटी है। राजधानी में सबसे ज्यादा 201 मौतें 50 से 69 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों की हुई हैं। वहीं 70 से 94 साल के मध्य आयु वर्ग के 109 लोगों ने दम तोड़ा है।