राष्ट्र आजकल/रिजवान मंसूरी/खितोला सिहोरा
बड़े बड़े बोर्डों में डॉक्टरों के लिखे नाम मौके पर नहीं मिला कोई भी चिकित्सक, सुधार की हिदायक नहीं तो कार्रवाई के लिए तैयार रहने की चेतावनी
जिला स्वास्थ्य अधिकारी की टीम ने सिहोरा के आधा दर्जन हॉस्पिटल में मारा छापा
सिहोरा में संचालित हो रहे बड़े-बड़े हॉस्पिटल बिना एनओसी और प्रोटोकॉल के संचालित हो रहे हैं। हॉस्पिटल के बाहर बड़े-बड़े डॉक्टरों के बोर्ड तो लगे थे, लेकिन मौके पर कोई भी डॉक्टर उपलब्ध नहीं था। अस्पताल में मरीज बेड पर लेटे तो जरूर थे लेकिन उन्हें क्या प्रशिक्षण दिया जा रहा है या कौन डॉक्टर उनको अटेंड कर रहा है इसका कहीं भी अता पता नहीं था। यह चौंकाने वाला खुलासा मंगलवार को जिला स्वास्थ्य अधिकारी की टीम द्वारा सिहोरा के आधा दर्जन हॉस्पिटलों में छापे के दौरान हुआ। स्वास्थ्य विभाग की अचानक हुई इस कार्रवाई हॉस्पिटल संचालकों में हड़कंप मच गया।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी केके वर्मा, एहतेसाम अंसारी, बीएमओ डॉ दीपक गायकवाड की टीम झंडा बाजार स्थित उमा क्लीनिक पहुंचे। जांच के दौरान नगरपालिका, पाल्यूशन बोर्ड और फायर विभाग की एनओसी ही नहीं। निर्धारित प्रोटोकॉल का कहीं भी अता पता नहीं था। जांच करने पर पता चला कि इनके पास कोई लाइसेंस ही नहीं है,बिना लाइसेंस के ही अस्पताल संचालित हो रहा था। जिला स्वास्थ्य अधिकारी की टीम ने सभी को नोटिस जारी करते हुए जल्द से जल्द एनओसी और प्रोटोकाल का पालन करने के निर्देश दिए। अधिकारियों ने सख्त लहजे में कहा कि आप लोग मरीजों की जान से क्यों खिलवाड़ कर रहे हैं।
डॉक्टरों के लगे बोर्ड, मौके पर नहीं मिला कोई भी
अस्पताल रोड में संचालित इंदिरा पॉलीक्लिनिक में डॉक्टरों के बड़े-बड़े बोर्ड तो लगे थे, लेकिन मौके पर कोई भी डॉक्टर नहीं मिला। यहां बकायदा मरीजों को देखा जा रहा था, लेकिन डॉक्टर कौन है इसका कहीं अता-पता नहीं था। बकायदा बेड लगे हुए थे और वक्त मरीजों को भर्ती भी किया जा रहा था। जांच के दौरान संचालक किसी भी तरह के के दस्तावेज पेश नहीं कर पाए। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जल्द से जल्द इसमें सुधार कर सारे लाइसेंस लेने के निर्देश दिए वरना कार्रवाई की चेतावनी दे डाली।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन और आईसीयू के लिखे थे, चार्ज सुविधा कुछ भी नहीं
सिहोरा हॉस्पिटल के सामने संचालित संजीवनी नर्सिंग होम में तो स्थिति और भी बेकार देखने को मिली यहां पर बाकायदा ब्लड ट्रांसफ्यूजन और आईसीयू के चार्ज लिखे हुए थे, लेकिन मौके पर जांच करने पर कोई भी नर्सिंग होम में नहीं मिली। मरीज को ड्रिप चढ़ाई जा रही थी लेकिन उसे क्या प्रशिक्षण दिया जा रहा है इसका अता पता ही नहीं था। मैनेजर जिला चिकित्सा अधिकारी के सवालों का कोई जवाब ही नहीं दे पाए। अधिकारियों की टीम ने सख्त लहजे में मैनेजर को निर्देश दिए कि किसी भी स्थिति में जल्द से जल्द सुधार कर लिया जाए वरना कार्रवाई के लिए तैयार रहें आखिर आप लोग मरीजों की जान से खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं।
क्लीनिक में लगे थे बेड, नहीं था कोई भी लाइसेंस
आजाद चौक स्थित एक क्लीनिक में मरीजों के लिए बकायदा बेड लगे हुए थे जबकि इसका कोई लाइसेंस उनके पास था ही नहीं। ना ही इसकी कोई परमिशन थी लेकिन मरीजों को बकायदा चेक किया जा रहा था और दवाइयां भी दी जा रही थी। जिला स्वास्थ्य अधिकारी की टीम ने यहां भी सख्त निर्देश देते हुए जल्द से जल्द एनओसी और लाइसेंस लेने की बात संचालक से कही। खितौला स्थित एक हॉस्पिटल में भी जांच के दौरान एनओसी और प्रोटोकाल का खुला उल्लंघन हो रहा था। जैन डाक्टरों के बोर्ड हॉस्पिटल के बाहर लगे हुए थे वह ना तो हॉस्पिटल आते थे और ना ही मरीजों को देखते थे।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
सिहोरा में संचालित होने वाले हॉस्पिटल और नर्सिंग होम के पास न तो एनओसी है और न ही निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत इनका संचालन हो रहा है। जांच के दौरान यही बात सामने आई है। संबंधित हॉस्पिटल और नर्सिंग होम की जांच रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को दी जाएगी उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
केके वर्मा, जिला स्वास्थ्य अधिकारी जबलपुर