अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि डीआरडीओ ने डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ क्वालिटी एश्योरेंस (डीजीक्यूए) को पिनाक राकेट प्रणाली के व्यापक उत्पादन के लिए सभी संगत ब्योरे दे दिये हैं।
LAC पर बढ़ती टेंशन के सिलसिले में पिनाक के राकेट, लांचर और संबंधित उपकरण बनाने का काम शुरू हो गया है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation, DRDO) ने पिनाक मिसाइल को बनाने संबंधी जरूरी प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है।
एएचएसपी वह विभाग है जो रक्षा उत्पादनों के निर्माण से पहले संकलन, समेकन और विश्लेषण के लिए जिम्मेदार है। पिनाक जमकर गोलाबारी करने वाली वह राकेट प्रणाली है जो 37.5 किलोमीटर की रेंज तक सटीक निशाना लगा सकती है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अथारिटी होल्डिंग सील्ड पर्टिकुलर्स (एएचएसपी) ने पूरी जिम्मेदारी का पालन करते हुए डीआरडीओ से डीजीक्यूए को पिनाक के उत्पादन का भार सौंपा है।
रक्षा मंत्रालय ने बीते दिनों बीईएमएल लिमिटेड को उच्च क्षमता वाले 330 ट्रकों की आपूर्ति का ऑर्डर दिया था। बीईएमएल, रक्षा मंत्रालय की ‘अनुसूची क’ में आने वाली कंपनी है। इसे सेना के लिए स्वदेश में ही विकसित किया गया है। इसका उत्पादन घरेलू सार्वजनिक और निजी रक्षा कंपनियों द्वारा किया जाता है। पिनाक राकेट को एक मल्टी बैरल राकेट लांचर से संचालित किया जाता है। यह 44 सेकेंड में 12 राकेट दाग सकता है।
रक्षा मंत्रालय को तीन साल के दौरान इनकी आपूर्ति की जाएगी। बीते दिनों लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने जानकारी दी थी कि उसकी रक्षा शाखा को भारतीय रक्षा मंत्रालय से पिनाक हथियार प्रणाली की आपूर्ति के लिए ठेका मिल चुका है। दरअसल इस प्रणाली को बीईएमएल के उच्च क्षमता वाले ट्रकों पर बांधा जाता है। ये ट्रक युद्ध क्षेत्र में भारतीय सेना को बढ़त उपलब्ध कराते हैं। इन ट्रकों का निर्माण कंपनी के केरल स्थित पलक्कड़ संयंत्र में होगा।