बुजुर्ग ने रोका मुख्यमंत्री का काफिला:कहा- आपके मेहमान जहां चाहें गाड़ी खड़ी करते हैं, हमारे वाहन नहीं निकल पाते

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राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया के घर के बाहर शुक्रवार (28 जुलाई) को एक बुजुर्ग ने उनकी गाड़ी रोक ली। बुजुर्ग सीएम सिद्धारमैया के पड़ोसी हैं। उनकी शिकायत थी कि मुख्यमंत्री से मिलने आने वाले मेहमान जहां चाहे अपनी गाड़ियां खड़ी कर देते हैं, जिनसे उनके परिवार को वाहन निकालने में परेशानी होती है।

बुजुर्ग का नाम नरोत्तम है। उन्होंने कहा कि पिछले 5 सालों से यह सब परेशानी हमारा परिवार झेल रहा है। अब हम तंग आ गए हैं।

नरोत्तम की शिकायत सुनकर सिद्धारमैया ने अपने सुरक्षाकर्मियों को निर्देश दिए कि गाड़ियां बेतरतीब खड़ी न हों। यहां आने वालों की वजह से किसी को परेशानी नहीं होनी चाहिए।

सीएम की गाड़ी रोकने वाले बुजुर्ग नरोत्तम का घर बेंगलुरु के कुमारकृपा रोड पर है। सिद्धारमैया का घर नरोत्तम के घर के ठीक सामने है। यह मुख्यमंत्री का ऑफिशियल बंगला नहीं है।

ये नेता विपक्ष का बंगला है। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा अभी मुख्यमंत्री आवास में रह रहे थे। सिद्धारमैया अगस्त में इसमें शिफ्ट हो जाएंगे।
सिद्धारमैया दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने हैं। वे पहले भी 2013 से 2018 के बीच राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। सिद्धारमैया के यहां तक पहुंचने की कहानी संघर्ष भरी और रोचक है। किसान परिवार में जन्मे सिद्धारमैया ने मैसूर विश्वविद्यालय से BSc और वकालत की पढ़ाई पूरी की।

कॉलेज के दिनों से ही बोलने की शैली के लिए प्रसिद्ध होने लगे थे। उनकी यही प्रतिभा देखकर वरिष्ठ वकील ननजुडा स्वामी ने उन्हें मैसूर तालुका से चुनाव लड़ने की सलाह दी और वे जीत गए। साल 1983 में भारतीय लोक दल पार्टी से पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और विधायक बने। इस जीत ने सभी को चौंका दिया, क्योंकि उनकी कोई खास राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी और वे तब सिर्फ 36 साल के थे।

38 साल की उम्र में मंत्री बने
1985 में यानी सिर्फ 38 साल की उम्र में ही उन्हें मंत्री पद भी मिल गया। लेकिन 1989 में वे विधानसभा चुनाव हार गए। तेजी से वापसी करते हुए 1996 में जनता दल में रहते हुए उपमुख्यमंत्री बने। इसके बाद 2004 में JDS और कांग्रेस की सरकार में फिर उपमुख्यमंत्री रहे।

बाद में JDS प्रमुख एचडी देवगौड़ा से मतभेद हो गया तो उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। उन्होंने खुद की पार्टी बनाने के बारे में विचार किया, लेकिन 2008 में कांग्रेस में शामिल हो गए। 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री रहे। सिद्धारमैया ने राजनीतिक करियर में विधानसभा के 12 चुनाव लड़े, जिसमें से उनको 9 में जीत मिली।

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