छत्तीसगढ़: माताओं से की अपील-सोशल और फिजिकल दूरी के साथ करें पूजा-पाठ इस तरह मुख्यमंत्री बघेल ने दी हलषष्ठी की शुभकामनाएं

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हलषष्ठी का त्यौहार छत्तीसगढ़ में कमरछठ के रूप में जाना जाता है, इस दिन माताएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर प्रार्थना करती हैं।

Source: Facebook

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि कोविड संक्रमण से बचाव और सुरक्षा वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है। उन्होंने पूजा के दौरान भी सोशल और फिजिकल दूरी, मास्क लगाने औेर हाथ धोने जैसे नियमों का पालन करने की अपील की है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों विशेषकर माताओं को हलषष्ठी (हरछठ) की बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार आदिवासियों की प्राचीनतम विरासत और संस्कृति को सहेजते हुए उनके विकास और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए संकल्पित है। हमारी कोशिश है कि प्रकृति के करीब जीवन जीने वाली यहां की 32 प्रतिशत आदिवासी जनता को सभी आवश्यक नागरिक सुविधाएं और आगे बढ़ने के सभी साधन सुलभ हों। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हलषष्ठी का त्यौहार छत्तीसगढ़ में कमरछठ के रूप में जाना जाता है, इस दिन माताएं अपने बच्चों के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए व्रत रखकर प्रार्थना करती हैं। गांवों और शहरों में कई जगहों पर बनायी गयी सगरी में माताएं इकट्ठा होकर पूजा करती हैं।

वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर प्रदेशवासियों विशेषकर आदिवासी समाज के लोगों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने अपने संदेश में कहा है कि छत्तीसगढ़ जनजाति बाहुल्य प्रदेश है। जनजातियों की प्राचीन कला और संस्कृति यहां की अनमोल धरोहर है।

हमने वन अधिकार पट्टों के माध्यम से हजारों आदिवासियों को जमीन का अधिकार देकर उन्हें आवास, और आजीविका की चिंता से मुक्त करने का प्रयास किया है। हमारी कोशिश है कि आदिवासी समुदाय तक सीधे सरकार की विकास योजनाएं पहुंचे और जल, जंगल और जमीन को लेकर उनकी चिंता दूर हो सकें।

बघेल ने कहा कि जनजातियों के विकास और हित को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने बीते डेढ़ साल में कई अहम फैसले लिये हैं। लोहंडीगुड़ा में आदिवासियों की 4200 एकड़ जमीन की वापसी, जेलों में बंद आदिवासियों के मामलों की समीक्षा के लिए समिति का गठन, जिला खनिज न्यास के पैसों से आदिवासियों के जीवन स्तर में सुधार का निर्णय, बस्तर और सरगुजा में कर्मचारी चयन बोर्ड की स्थापना और यहां आदिवासी विकास प्राधिकरणों में स्थानीय अध्यक्ष की नियुक्ति से आदिवासी समाज के लिए बेहतर काम करने की कोशिशें जारी हैं। उन्होंने कहा है कि मुझे खुशी है कि हमने तेजी से आदिवासियों के हितों के लिए निर्णय लिए जिससे उनका जीवन अधिक सरल हो सका है।

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