जांच में 2400 सीमेंट पोल व लगभग 15 टन बारबेट वायर प्लांटेशन साइट पर कम पाया गया है। 2017-18 में ये गड़बड़ी सामने आई है जिसमें तत्कालीन डीएफओ व एसडीओ की मिली भगत के आरोप लग रहे हैं। मामले में शासन को 40 लाख से अधिक का चूना लगाया गया है। हालांकि मामला उजागर होने के बाद राज्य शासन ने इसकी जांच के आदेश दिए हैं।
रायगढ़: मामले की भनक विभाग के रिटायर्ड एसडीओ पीएस पटेल को लगी तो उन्होंने पूरे दस्तावेज जुटाकर राज्य शासन को इसकी शिकायत की। जिसके बाद राज्य शासन के निर्देश पर गठित एक टीम ने भौतिक सत्यापन किया। जिले में वन विभाग के द्वारा किए प्लांटेशन में बड़ी धांधली उजागर हुई है। जिले में 4 करोड़ 40 लाख पौधरोपण के नाम पर खर्च किए गए। लेकिन जांच के दौरान जितनी मात्रा में सीमेंट पोल व बारबेट वायर लगाने की बिलिंग की गई है, प्लांटेशन साइट पर उसकी मात्रा कम पाई गई है।
रायगढ़ जिले में प्लांटेशन के दौरान विभागीय भ्रष्टाचार और गड़बड़ी सामने आई है। दरअसल साल 2017-18 में कैंपा मद से जिले में 2.75 लाख पौधे रोपे गए थे। इसके लिए 4.4 करोड़ रुपए का बजट रखा गया था।
तत्कालीन डीएफओ विजया रात्रे और एसडीओ खूंटे ने वन मंडल की 9 अलग अलग साइट पर 570 हैक्टेयर वन भूमि का चिन्हांकन कर प्लांटेशन के लिए किया था। पौधों की सुरक्षा के लिए 31.5 टन बारबेट वायर, 13 हजार 110 आरसीसी पोल की खरीदी भी की गई थी। पौधरोपण के अन्य खर्चों को मिलाकर कुल 4.44 करोड़ का व्यय बताया गया था।
रिजर्व फारेस्ट 1040 और 1041 को मिलाकर कुल 2458 पोल कम मिले हैं। जबकि विभाग ने 13110 आरसीसी पोल खरीदे थे। इतना ही नहीं प्लांटेशन साइट पर तकरीबन 19 सौ लकड़ी के पोल मिले हैं जबकि ये खरीदे ही नहीं गए थे। इस पूरे मामले में तकरीबन 40 लाख से अधिक की गड़बड़ी की बात कही जा रही है।
इस दौरान 15 टन बारबेट वायर व 2400 पोल कम पाए गए। जो रिपोर्ट वन विभाग को सौंपी गई है। उसमें 1036 प्रोटेक्टेड फारेस्ट में 714 किलो, 1038 रिजर्व फारेस्ट में 194 किलो, 1039 रिजर्व फारेस्ट में 4456 किलो, 1040 रिजर्व फारेस्ट में 4924 किलो, 1041 रिजर्व फारेस्ट में 2691 किलो, 1065 रिजर्व फारेस्ट में 818 किलो, 1075 रिजर्व फारेस्ट में 818 किलो और 1093 रिजर्व फारेस्ट में 559 किलो बारबेट वायर लगाए ही नहीं गए।