इंदौर: डॉक्टरों ने कहा शाम 6 के बाद सख्त लॉकडाउन जरूरी, शहर में कोरोना से मौतों का आंकड़ा 505 के पार पहुंचा

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रोजाना कोविड से ही सात से आठ मौत दर्ज हो रही है। बीते पांच महीने से लगातार कोविड के मरीजों को देख रहे डॉक्टरों का भी कहना है कि यदि अब भी नहीं संभले तो आने वाली खराब स्थिति के लिए लोग तैयार रहें, क्योंकि उन्हें इलाज भी मुश्किल से मिलेगा।

Source: Twitter

इंदौर (राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि): मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। काेराेना संक्रमण से दम ताेड़ने वाले मरीजों का आंकड़ा 505 हाे गया है। इनमें से ज्यादातर (करीब 90 फीसदी) मरीज ऐसे थे जाे शुगर, हाइपरटेंशन, अस्थमा सहित अन्य गंभीर बीमारियाें से जूझ रहे थे। कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने अस्पताल पहुंचने के एक से दो घंटे में ही दम तोड़ दिया।

कोरोना के कारण दूसरी बीमारी का इलाज लोगों को मिलना मुश्किल हो गया है। हेल्थ केयर सिस्टम एक्जास्ट हो चुका है। लोगों को खुद समझना होगा कि यदि भीड़ बढ़ाते रहे तो इलाज मिलना भी मुश्किल होगा। कोई अस्पताल क्षमता से ज्यादा मरीज भर्ती कर भी ले तब भी स्टाफ कहां से लाएगा। वे खुद बीमार हो रहे हैं। यदि नहीं माने तो मौतें बढ़ेंगी।

अब सब जनता के हाथ में है। उन्हें घर में ही रहना होगा। दूरी बनाकर रखना होगा। इस उदाहरण से समझें कि यदि रेड लाइट में गाड़ी नहीं रोकी तो एक्सीडेंट होना तय है। इजरायल सहित अन्य देशों ने लॉकडाउन हटा दिया था, लेकिन वहां दोबारा लॉकडाउन लगाना पड़ा। लोग बेवजह घूमकर खुद की नहीं दूसरों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं।

आसपास के जिले संभल नहीं पा रहे हैं। लॉकडाउन हटने से सभी लोग इलाज के लिए इंदौर की ओर रुख कर रहे हैं। सरकार काे टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर वहीं सुविधाएं मुहैया करवानी चाहिए, ताकि मरीजों को वहीं इलाज मिल जाए। वेंटिलेटर व अन्य जीवनरक्षक उपकरण वहीं मुहैया करवाए जाएं।

खुद के साथ दूसरों का जीवन बचाएं। इसके अलावा आसपास के जिलों में उपकरण और स्टाफ से लैस एम्बुलेंस मुहैया करवाना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि मरीज आठ-दस दिन दूसरे जिले में इलाज करवा रहा है और यहां तक आते-आते उसकी मौत हो जाती है। शाम 6 बजे बाद सख्त लॉकडाउन लागू कर देना चाहिए। स्कूल, बस और थिएटर सेवा शुरू करने का फैसला गलत है। इससे मरीजों की संख्या बढ़ेगी।

बुखार यदि ठीक नहीं हो तो तुरंत अस्पताल जाएं। जिन्हें जरूरत नहीं है, वे भी भर्ती हो रहे हैं। ऐसा कतई न करें। अधिक से अधिक सैंपलिंग कर प्राथमिक स्तर पर ही बीमारी का पता लगाएं। 80% लोग घर पर ही ठीक हो सकते हैं।

कोरोना का डेथ रेट 1.7 प्रतिशत है, जो बहुत ज्यादा है। यह बहुत खराब समय है। खुद को संभलना होगा। सामान्य सर्दी-जुकाम को कोरोना मानकर इलाज करें सर्दी-जुकाम के हर मरीज को खुद को कोरोना का मरीज मानकर ही इलाज करना चाहिए। इस गलतफहमी में नहीं रहे कि सामान्य जुकाम है। जैसे ही जुकाम के लक्षण सामने आए खुद को 15 दिन आइसोलेट करें।

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