इंदौर राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। देवास के टोंकखुर्द के रहने वाले 69 वर्षीय बीएचएमएस चिकित्सक डा. गोपाल गुप्ता वहां पर मरीजों का इलाज करते हुए कब संक्रमित हो गए उन्हें पता नहीं चला। उन्हें 10 अप्रैल को हल्का बुखार आया और आरटीपीसीआर जांच में पाजिटिव आए। घर पर ही उन्हें दवाएं व उपचार दिया। तीन दिन तक वे होम क्वारंटाइन रहे।
उनके रिश्तेदार अंकुर गुप्ता के मुताबिक तीन दिन बाद उन्हें श्वास लेने में परेशानी हुई और आक्सीजन लेवल 90 तक आने लगा। ऐसे में उन्हें 19 अप्रैल को इंदौर के यूरेका अस्पताल में भर्ती करवाया गया। भर्ती होने के पश्चात जब उनका सिटी स्कैन किया गया तो फेफड़ों में 90 प्रतिशत तक संक्रमण मिला। उनकी हालत इतनी बिगड़ी कि उन्हें आईसीयू में वेंटीलेटर बाइपेप पर रखना पड़ा। उनमें गजब का आत्मविश्वास है, यही वजह है कि उन्होंने कोरोना को मात दी और पिछले चार दिन से दवा गोलियों का सेवन करने लगे और उन्हें लगाई जा रही ड्रिप भी बंद की गई।
बुधवार को उन्हें अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया। यूरेका अस्पताल के चिकित्सक डा. उल्लास महाजन के मुताबिक इनके अस्पताल में आने के पश्चात इन्हें रेमडेसीविर इंजेक्शन व आईवीआइजी और एंटीबायोटिक्स लगाए। इनकी फिजियोथेरेपी करवाई गई और बाद में वे खुद ही श्वसन संबंधित एक्सरसाइज करते थे। हमारे अस्पताल में अब तक सर्वाधित संक्रमण का यह मामला है।परिजनों के मुताबिक अभी घर पर भी उनके लिए आक्सीजन सिलेंडर व कंसट्रेटर का इंतजाम किया गया है ताकि यदि कभी जरूरत लगे तो उसका सपोर्ट भी दिया जा सके।