राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। सरकार ने तुअर दाल और उड़द दाल की कीमतों पर नियंत्रण और उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए स्टॉक लिमिट 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है। स्टॉक होल्डिंग लिमिट को भी रिवाइज किया है। डिपो में बड़ी चेन रिटेल्स और थोक विक्रेताओं के पास स्टॉक की सीमा 200 मीट्रिक टन से घटाकर 50 मीट्रिक टन कर दी गई है। पहले स्टॉक लिमिट 30 अक्टूबर तक लागू थी।
सरकार ने कहा कि स्टॉक लिमिट में संशोधन और टाइम पीरियड बढ़ाने का फैसला जमाखोरी को रोकने के लिए किया गया है। इससे बाजार में पर्याप्त मात्रा में दालों की उपलब्धता सुनिश्चित होगी और उपभोक्ताओं को यह सस्ती कीमतों पर मिलती रहेगी। इससे पहले सरकार ने 2 जनवरी 2023 को तुअर और उड़द के लिए स्टॉक लिमिट का नोटिफिकेशन जारी किया था।
इम्पोर्टर्स 30 दिन से ज्यादा स्टॉक नहीं रख सकते
इसके साथ ही इम्पोर्टर्स 30 दिन से अधिक स्टॉक नहीं रख सकते हैं। पोर्टल पर स्टॉक की जानकारी देनी होगी। उपभोक्ता मामले का विभाग स्टॉक डिस्क्लोजर पोर्टल के माध्यम से तुअर और उड़द की स्टॉक स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है, जिसकी राज्य सरकार के साथ साप्ताहिक आधार पर समीक्षा की जाती है।
दिवाली पर तुअर दाल के दाम 10 रुपए तक कम होंगे
एक्सपर्ट के अनुसार तुअर की नई फसल आने के साथ ही अफ्रीकन तुअर दाल भी भारतीय बाजार में अवेलेबल हो जाएगी। इस कारण दाल के दाम 10 रुपए तक कम हो सकते हैं। यह पहला साल होगा कि त्योहारी सीजन में दाम नहीं बढ़ेंगे।
आलू को छोड़कर ज्यादातर खाने की चीजें महंगी
दो महीने पहले संसद में एक सवाल के जवाब में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने बताया है कि आलू को छोड़कर ज्यादातर खाने की चीजें महंगी हुई हैं। तुअर दाल, मूंग दाल, चावल, चीनी, दूध और आटा इनमें शामिल है। तुअर दाल 1 साल में करीब 30% तक महंगी हुई है।
महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?
महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वह ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।
इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।