राष्ट्र आजकल / नोशीन खान / आजकल सभी जगह कोरोना संक्रमण के मामलों में काफी कमी देखी जा रही है, इस बीच डेंगू बुखार एक नई मुसीबत खड़ी कर दी है। देश के कई हिस्सों से डेंगू के प्रकोप की खबरें सामने आ रही हैं। डेंगू के बढ़ते मामलों के कारण कई स्थानों पर अस्पतालों में बेड की कमी होने लगी है जिससे लोगों को तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। देश में सितंबर-अक्तूबर के महीने में अक्सर डेंगू के मामले बढ़ जाते हैं। मच्छरों के काटने से फैलने वाली इस बीमारी में तेज बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द के साथ उल्टी होना सामान्य लक्षण माना जाता है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक डेंगू के मरीजों को हर बार तेज बुखार हो, ऐसा जरूरी नहीं है। कई लोगों में बिना बुखार के कमजोरी और थकान की स्थिति में भी डेंगू का निदान किया जा रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक जिस तरह से देश के कई हिस्सों में डेंगू के मामलों में तेजी से उछाल देखा जा रहा है ऐसे में लोगों को बिना बुखार वाले डेंगू से भी सावधान रहने की आवश्यकता है। इस तरह के डेंगू को ‘एफेब्रिल डेंगू’ कहा जाता है, जो अपेक्षाकृत अधिक घातक हो सकता है। आइए आगे की स्लाइडों में इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
अमर उजाला से बातचीत में लखनऊ स्थित एक अस्पताल में डेंगू रोगियों का इलाज कर रहे डॉक्टर वेदांत सिंह बताते हैं, सामान्यतौर पर माना जाता है कि डेंगू में लोगों को बहुत तेज बुखार के साथ जोड़ों में दर्द की समस्या होती है, हालांकि एफेब्रिल डेंगू के लक्षण इससे बिल्कुल अलग हैं। डेंगू के कई ऐसे मरीजों का निदान किया जा रहा है जिनमें बुखार के बिना भी प्लेटलेट्स काफी lतेजी से कम हो जाते हैं। इतना ही नहीं कुछ लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या भी कम हो रही है। इस तरह के डेंगू को ज्यादा खतरनाक माना जाता है क्योंकि इसमें रोगी को तब तक इस बारे में पता नहीं चल पाता है जब तक उसकी हालत बहुत ज्यादा खराब नहीं हो जाती।
डेंगू के इस मौसम में यदि आपको बिना बुखार के भी लगातार कमजोरी और थकान बनी रहती है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्थिति के निदान के लिए डॉक्टर सबसे पहले खून की जांच कराने की सलाह देते हैं। डेंगू की पुष्टि होने पर इसके लक्षणों के आधार पर इलाज शुरू किया जाता है।
वैसे तो डेंगू बुखार का फिलहाल कोई विशिष्ट उपचार नहीं है, हालांकि लक्षणों को देखते हुए रोगियों को दवाइयां दी जाती हैं। एफेब्रिल डेंगू के इलाज का पहला लक्ष्य रोगियों के प्लेटलेट्स को बढ़ाने की रहती है। रोगी को ज्यादा से ज्यादा आराम करने और अधिक मात्रा में तरल पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है।