राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। सनातन धर्म में प्रत्येक धार्मिक कार्य की शुरुआत दीप प्रज्जवलित करने से होती है। ऐसी मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी उपस्थिति में किए गए कार्य अवश्य ही सफल होते हैं। अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का परिवर्तित रूप है, इसलिए किसी भी देवी-देवता के पूजन के समय ऊर्जा को केन्द्रीभूत करने के लिए दीपक प्रज्जवलित किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में महाशक्ति की आराधना करने वाले जातक अखंड ज्योति जलाकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं। अखंड का अर्थ है जो खंडित न हो अर्थात जरूरी नहीं कि अखंड ज्योति पूरे नौ दिनों तक ही जलाई जाए, अष्टमी या नवमी के दिन पूजा के समय 24 घंटे के लिए भी अखंड दीपक जलाया जा सकता है। इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली,आरोग्य और धन संपदा देने वाली,शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है।
देवी-देवता के पूजन के समय ऊर्जा को केन्द्रीभूत करने के लिए अपना यह तरीका
राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि। सनातन धर्म में प्रत्येक धार्मिक कार्य की शुरुआत दीप प्रज्जवलित करने से होती है। ऐसी मान्यता है कि अग्निदेव को साक्षी मानकर उसकी उपस्थिति में किए गए कार्य अवश्य ही सफल होते हैं। अग्नि पृथ्वी पर सूर्य का परिवर्तित रूप है, इसलिए किसी भी देवी-देवता के पूजन के समय ऊर्जा को केन्द्रीभूत करने के लिए दीपक प्रज्जवलित किया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में महाशक्ति की आराधना करने वाले जातक अखंड ज्योति जलाकर मां दुर्गा की उपासना करते हैं। अखंड का अर्थ है जो खंडित न हो अर्थात जरूरी नहीं कि अखंड ज्योति पूरे नौ दिनों तक ही जलाई जाए, अष्टमी या नवमी के दिन पूजा के समय 24 घंटे के लिए भी अखंड दीपक जलाया जा सकता है। इस मंत्र का सरल अर्थ यह है कि शुभ और कल्याण करने वाली,आरोग्य और धन संपदा देने वाली,शत्रु बुद्धि का विनाश करने वाली दीपक की ज्योति को नमस्कार है।