राष्ट्र आजकल / भारत सिंह नरूका / रतलाम / चांदी की सिल्ली और सोने के बिस्कुट से भरा कुबेर का खजाना, रतलाम राजा महाराजाओं के समय से जारी परंपरा को रतलाम नगर के व्यापारी और नागरिकौ ने आज तक अनवरत रूप से जारी रखा है महाराजाओं के समय में दीपावली से पूर्व रतलाम नगर के महाराजा अपने खजाने से महालक्ष्मी मंदिर को सजाते थे वर्षों से जारी यह परंपरा आज भी अनवरत रूप से जारी है धनतेरस से 2 दिन पहले यहां व्यापारी और आमजन अपना रुपया पैसा धनसंपदा यहां रखने आते हैं जिसका बकायदा रजिस्टर में हिसाब होता है और जमा करता को टोकन दिए जाते हैं भाई दूज के दूसरे दिन बाद जमा करता को उनकी धनसंपदा वापस कर दी जाती है इसके पीछे यह मान्यता है कि यहां जितना धन रखा जाता है वह आने वाले समय में 5 से 10 गुना तक 1 वर्ष में वृद्धि हो जाती है धनतेरस से भाई दूज तक 5 दिनों तक यहां दूर-दूर से माता के भक्त दर्शन के लिए आते हैं और मंदिर की सजावट देखकर वह भावविभोर होकर जाते हैं और पूरे भारत में इसकी प्रशंसा करते हैं।
5 दिनों तक प्रशासन भी जनता के धन संपदा की रक्षा हेतु रात दिन यहां पर पहरेदारी करता है और आज तक यहां किसी भी प्रकार की कोई हेरा फेरी या चोरी की घटना नहीं हुई वर्षों से यही परंपरा जारी है। धन संपदा वापिस करते समय मंदिर ट्रस्ट द्वारा जमा कर्ताओं को उनके धनसंपदा के साथ एक कुबेर की पोटली भी दी जाती है जिसे भक्त अपने लॉकर में रखते हैं और जिससे उनकी धनसंपदा दिनों दिन बढ़ती ही जाती है।