सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा है कि जज पर ऐसे आरोप लगाने का आजकल ट्रेंड चल निकला है.

सीजेआई बोले कि ऐसा अक्सर देखने में आ रहा है जब जज पर ऐसे आरोप लगाए जाते हैं. जैसे ही हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने का समय आता है, अचानक किसी को 20 साल पुरानी कोई ‘याद’ आ जाती है.
मध्य प्रदेश के एक जिला जज पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है.
इस पूरे मामले पर राज्य सरकार से जवाब तलब करते हुए चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने ये टिप्पणी उस समय की, जब जिला जज के वकील ने कहा कि ये आरोप भी तब लगाया गया जब उनको प्रमोट कर हाईकोर्ट में जज बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने रघुवंशी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने पर भी रोक लगा दी है. इस पर सीजेआई बोले कि ऐसा अक्सर देखने में आ रहा है जब जज पर ऐसे आरोप लगाए जाते हैं. देवास के जिला जज शंभू सिंह रघुवंशी की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी की.
जैसे ही हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने का समय आता है, अचानक किसी को 20 साल पुरानी कोई ‘याद’ आ जाती है और मामला ठोक दिया जाता है.
अभी हाल ही में जस्टिस अरुण मिश्रा ने भी प्रशांत भूषण के कोर्ट की अवमानना वाले मामले पर सुनवाई के दौरान टिप्पणी की थी कि हम ऐसी जगह बैठे हैं कि अपने बचाव के लिए सार्वजनिक तौर पर कहीं नहीं जा सकते. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रघुवंशी की याचिका खारिज कर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के आदेश दिए थे. रघुवंशी ने दावा किया कि उनका 32 साल लंबा न्यायिक करियर बेदाग रहा है.
कमेटी ने तब आरोपों को निराधार माना था क्योंकि उस महिला स्टाफ ने समिति के सामने पेश होकर सबूत देने से इनकार कर दिया था. बता दें कि मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबडे उस आंतरिक समिति के भी अगुवा रहे जिसने तब के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर एक महिला कोर्ट स्टाफ के यौन शौषण के आरोपों की जांच की थी.