राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि I ED ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली और गुरुग्राम में 15 जगहों पर छापेमारी कर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति की पहचान की। ED ने गुरुवार को बताया कि 7 अक्तूबर को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत वाटिका लिमिटेड और अन्य के मामलों में रेड की गई।
मामला कई कॉमर्शियल प्रोजेक्ट से जुड़ा है जिसमें 400 से ज्यादा इंवेस्टर्स को बिल्डर बायर एजेंट (BBA) के हिसाब से तय रिटर्न नहीं मिले थे। इसके अलावा कंपनी ने खरीदारों और इंवेस्टर्स को कॉमर्शियल यूनिट्स (मकान, दुकान आदि) भी हैंड ओवर नहीं कीं।
ED ने कहा कि रेड में खरीदारों से जुड़े कई आपत्तिजनक रिकॉर्ड, बैंक आदि से कंपनियों के लोन से जुड़े कागजात, पेन ड्राइव, हार्ड ड्राइव, लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त किए गए हैं।
तीन साल पहले दर्ज हुआ था मामला 2021 में दिल्ली और हरियाणा पुलिस की इकोनॉमिक ऑफेंस विंग ने वाटिका लिमिटेड और उसके प्रमोटर अनिल भल्ला, गौतम भल्ला और अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी की जांच शुरू की थी।
ED ने बताया कि जांच में पता चला कि कंपनी ने अपने फ्यूचर प्रोजेक्ट में इंवेस्टर्स को लुभाने के लिए अश्योर्ड हाई रिटर्न्स और प्रोजेक्ट पूरा होने पर लीज और रेंट रिटर्न देने जैसे वादे किेए। हालांकि, बाद में कंपनी ने रिटर्न देना बंद कर दिया।
इतना ही नहीं कंपनी ने फरीदाबाद और गुरुग्राम के कई प्रोजेक्ट से जुड़ी प्रॉपर्टी भी खरीदारों को नहीं सौंपीं। इसके अलावा वाटिका ग्रुप की कंपनियों ने 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन लिया था। इसमें से करीब 1200 करोड़ रुपये इंडियाबुल्स कंपनी ने समझौते में माफ कर दिए थे।
कंपनी ने DTCP से लाइसेंस रिन्यू कराने, समय-सीमा में प्रोजेक्ट पूरा करने जैसी चीजें भी पूरी नहीं कीं। एजेंसी ने बताया कि अब तक की जांच से पता चलता है कि इस धोखाधड़ी से करीब 250 करोड़ रुपये कमाए गए।