राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | जिले के मुक्ति धाम में गुरुवार को उस समय हड़कंप मच गया जब एक मुर्दा चिता से उठकर बैठ गया। जिसके बाद परिजनों ने आनन-फानन में डॉक्टर और एम्बुलेंस को फोन किया। मौके पर पहुंचे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। फिर भी परिजन नहीं माने और उसे जिला अस्पताल लाया गया। जांच के बाद वहां भी उसे मृत घोषित कर दिया गया। वहीं परिजनों का आरोप है कि मरीज जिला अस्पताल में जिंदा था, चिता पर उसके प्राण निकल हैं।अशोकनगर जिले के हर्षित जैन ने बताया कि उनके छोटे भाई अनिल जैन का करीब 15 दिन से जिला अस्पताल में कोरोना का इलाज चल रहा था। गुरुवार को जिसकी मौत की पुष्टि जिला अस्पताल में डॉक्टरों ने की तो शव को दाह संस्कार के लिये मुक्तिधाम लाया गया। जब उसको मुक्ति धाम लेकर आये तो उसके शरीर में हल चल हुई और मुंह से आवाज भी आई। मृतक के भाई हर्षित जैन का दावा है कि अनिल उठ कर बैठ गया था। इसके बाद डॉक्टरों की टीम आई और उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों का आरोप है कि जिला अस्पताल में मृतक जिंदा था, उसके मुक्ति धाम में चिता के ऊपर ही प्रण निकले है। मृतक के परिजन अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगा रहे है।जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. जे आर त्रिवेदिया का कहना है कि अनिल जैन की मृत्यु के बाद ही उसके शव को अस्पताल से ले जाया गया था। श्मशान में भी परिजनों को उसकी मौत की पुनः पुष्टि की थी। इसके बाद भी परिजन नहीं माने तो अस्पताल लाकर ईसीजी करके भी बताया गया। आखिरकार बड़ी जद्दोजहद के बाद अनिल का अंतिम संस्कार कर दिया गया।