राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि । मंगलवार, 1 मार्च को महाशिवरात्रि है और इससे पहले शनिवार को फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इस संबंध में पंचांग भेद भी हैं, कुछ पंचांगों में रविवार को ये एकादशी बताई गई है। इसे विजया एकादशी कहते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास रखने की परंपरा है। शनिवार को ये एकादशी होने से इस दिन शनि देव की भी विशेष पूजा करें। इस दिन किए गए व्रत-उपवास और पूजा से शत्रुओं पर विजय मिलती है। शत्रुओं का भय दूर होता है। दैनिक कार्यों में भी सफलता मिलने के योग बनते हैं।
एकादशी पर स्नान के बाद गणेश पूजा करें। गणेश पूजन के बाद भगवान विष्णु और महालक्ष्मी की पूजा शुरू करें। भगवान का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। हार-फूल, चंदन चढ़ाएं। तुलसी के भोग लगाएं। धूप-दीप जलाएं और आरती करें।
ध्यान रखें तुलसी पूजन में अवश्य रखें। पूजा में दिनभर व्रत करने का संकल्प लें। भगवान की व्रत कथा सुनें। दिनभर निराहार रहें। जो लोग निराहार नहीं सकते, वे फलाहार कर सकते हैं और दूध का सेवन कर सकते हैं। शाम को फिर से भगवान की पूजा करें। तुलसी के पास दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान अगले दिन यानी द्वादशी तिथि की सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा दें। इसके बाद खुद भी भोजन ग्रहण करें।
एकादशी पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें। शिवलिंग के पास दीपक जलाएं और ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। जरूरतमंद लोगों को धन और अनाज का दान करें। किसी गौशाला में धन और गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें।
शनिवार को शनि देव की पूजा जरूर करें। शनि देव का तेल से अभिषेक करें। नीले फूल चढ़ाएं। दीपक जलाकर शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप करें। तेल और काले तिल का दान करें।