राष्ट्र आजकल प्रतिनिधि | धार जिले के ग्राम पाडल्या तथा आसपास के क्षेत्र में ग्रामीण गोलाकार पत्थरों की कुलदेवता मानकर वर्षों से पूजा करते रहे। ग्रामीणों ने डायनासोर के अंडों पर देवता स्वरूप आकृतियां बनाई थीं। हाल ही में विज्ञानियों ने क्षेत्र के दौरे के बाद निष्कर्ष दिया कि यह पूजनीय कुलदेवता नहीं है, बल्कि डायनासोर के अंडों के जीवाश्म है। जीवाश्म विज्ञानियों के निष्कर्ष के बाद ग्रामीण चौक पड़े। धार जिले के ग्राम पाडल्या स्थित डायनासोर फासिल्स जीवाश्म पार्क स्थित है। यहां लगभग 17 वर्ष पूर्व डायनासोर अंडों के जीवाश्म की खोज की गई। खेतों से निकली गोलाकार अंडों की संरचनाओं को ग्रामीणों ने चमत्कार माना और पीढ़ी दर पीढ़ी वर्षों से अलग-अलग देवी-देवताओं के नाम से पूजा करने लगे। पाडल्या में तो भिल्लड़ बाबा के मंदिर और पटेलपुरा में इन्हें विराजित किया और वहां श्रद्धा के साथ फूल हार, नारियल, टीका व तिलक लगाकर पूजते रहे। पाडल्या के वेस्ता मंडलोई ने बताया कि गोल पत्थर को विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग नाम देकर देवता जैसे पूजा जाता रहा। भील्लड़ बाबा पर तो लोग बलि तक देते रहे। यहां मुर्गा और बकरे की बलि की प्रथा थी। पटेलपुरा में गोवंशी के रक्षक के रूप में इन्हें पूजा जाता रहा। पाडल्या के अलावा झाबा, अखाड़ा, जामन्यापुरा, घोड़ा, टकारी आदि गांव में इस तरह से पूजा की गई। बीते दिनों बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट पैलियोसाइंसेज लखनऊ के विशेषज्ञ और मध्यप्रदेश वन विभाग के अधिकारी यहां पहुंचे। उन्होंने गांवों के भ्रमण के दौरान उन गोलाकार पत्थरनुमा आकृति का विश्लेषण शुरू किया तो उन्हें चौंकाने वाले मामले का पता चला।विशेषज्ञों ने पाया कि यह ग्रामीणों के कुलदेवता नहीं है, बल्कि डायनासोर की टायटेनोसारस प्रजाति के जीवाश्म अंडे हैं। इसके बाद विशेषज्ञों ने ग्रामीणों को इसकी असलियत के बारे में लोगों को जागरूक करना शुरू किया। हालांकि पता लगने के बाद दोनों स्थान से जीवाश्म अंडों को हटा दिया गया। बीते दिनों एमपी के ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड की सीईओ समिता राजौरा, जीवाश्म खोजी विशाल वर्मा, जिला वन मंडलाधिकारी अशोक कुमार सोलंकी और अन्य विभाग के सहयोग से लखनऊ से आकर जीवाश्म क्षेत्र का दौरा किया गया। इन्होंने ग्रामीणों और स्थानीय लोगों को जीवाश्म की महत्ता बताते हुए इनके संरक्षण के बारे में जानकारी दी। बीएसआइपी के निदेशक एमजी ठक्कर ने बताया कि हम धार जिले को यूनेस्को द्वारा ग्लोबल जियोपार्क के रूप में मान्यता दिलाने की योजना बना रहे हैं। हम सभी जीवाश्मों और भू-विरासत स्थलों को संरक्षित करने का प्रयास करेंगे।