एक तरफ कोरोना की महामारी और दूसरी तरफ बेरोजगारी से टूटी आर्थिक कमर मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के परिवारों को आत्महत्या के लिए मजबूर कर रही है। ऐसा ही एक परिवार कुछ दिनों पहले वराछा के पास वेलंजा में एक प्रोजेक्ट साइट पर पहुंचा था और परिवार के मुखिया ने बिल्डर से पूछा कि साहेब हम वतन जाना चाहते हैं।
सूरत: उन्होंने यह भी कह दिया कि आप लोग सिर्फ मेंनटनेंस देकर दो साल तक तक रह सकते हो। दानवीर कर्ण की भूमि सूरत में रहमदिल लोगों की कमी नहीं है। तभी तो एक बिल्डर प्रकाश भालाणी ने एक परिवार की पीड़ा देखकर 42 फ्लैट बिना किराये पर ही देना तय कर लिया।
बिल्डर प्रकाश भालाणी को लगा कि अगर मैं इस व्यक्ति को अब मदद नहीं करता हूं तो यह कुछ भी अनहोनी कर सकता है। उन्होंने तुरंत ही अपने पांच पार्टनर से बात की और तय किया कि उनके 90 फ्लैट तैयार साइट सिर्फ मेंटेनेंस लेकर ही बगैर किराये पर एक से डेढ़ साल तक दिए जाएंगे। हमारे पास घर गृहस्थी का सामान रखने के लिए मकान नहीं है। आपके फ्लैट खाली पड़े हैं, क्या कुछ महीनों के लिए हमारा सामान आपके फ्लैट में रखने देंगे? इस व्यक्ति की आंखों में आंसू भी आ गए।
चंद समय में ही 42 परिवारों ने फ्लैटों में सामान भी शिफ्ट करा दिया है। परिवार की स्थिति ठीक नहीं होती तब तक लाइट-पानी, सफाई, सीसीटीवी और फ्री वाई-फाई कनेक्शन के मासिक मेंटेनस के 1500 रुपए की व्यवस्था करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
मानवता के नाते नए और पॉश फ्लैट मेंटेनस देने के सहुलियत पर मिलने पर अब यहीं पर रहकर संघर्ष करने का निर्णय लिया है। -ईश्वर वोरा, लाभार्थी नौकरी-व्यवसाय की आस में हाल ही में वतन से लौटे हैं लेकिन उद्योग बंद होने के कारण किराये की भी समस्या है। परिवार के साथ गुजारा करना मुश्किल होने पर फिर सौराष्ट्र जाने की तैयारी कर रहे थे।